कविता उम्र के साथ जिन्दगी के ढंग को बदलते देखा है September 13, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment हमने हर रोज जमाने को नया रंग बदलते देखा है उम्र के साथ जिन्दगी के ढंग को बदलते देखा है वो जो चलते थे,तो शेर के चलने का होता था गुमान उनको भी पैर उठाने के लिये सहारे को तरसते देखा है जिनकी नजरों की चमक देख सहम जाते थे लोग उन्ही नजरों को बरसात […] Read more » कुदरत पत्थर बिजली रंग
कविता ए सनम ! तेरी याद में अब रोती नहीं हूँ मै June 30, 2018 / June 30, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी ए सनम ! तेरी याद में अब रोती नहीं हूँ मै तेरे गम में अपनी आँखे भिगोती नहीं हूँ मै ए पत्थर के सनम ! दिल को पत्थर बना लिया है मैंने जिसको माना था भगवान,उसको अब पूजती नहीं हूँ मै बहाये थे जिन आँखों से आँसू,उनको बंद कर लिया है […] Read more » आँखों से आँसू ए सनम ! तेरी याद में अब रोती नहीं हूँ मै पत्थर वैध हकीम
कविता दूसरे को समझाने में सफल,अपने आप में असफल April 30, 2018 by आर के रस्तोगी | 1 Comment on दूसरे को समझाने में सफल,अपने आप में असफल पत्थर में भगवान है,यह समझने में धर्म सफल रहा पर इंसान में इंसान हे,वह समझने में धर्म असफल रहा दूसरो को समझाने में इंसान सफल रहा अपने को समझाने मे इंसान असफल रहा इंसान ने भलाई की भला रहा , बुराई की बुरा रहा इस बात को समझ कर भी, इंसान असफल रहा बाबा […] Read more » Featured इंसान कड़ी मेहनत कलयुग पत्थर भक्तों भगवान सफल समझाने