आर्थिकी खेत-खलिहान विविधा बजट पर किसान परिचर्चा March 4, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment 1-किसानों की व्यथा मैथिली शरण गुप्त ने किसानों की व्यथा इस प्रकार व्यक्त की है- हो जाए अच्छी फसल पर लाभ कृषकों को कहां खाते खवाई बीज ऋण से है रंगे रक्खे जहां 2-बजट से आस बंधी आज भी कुछ ऐसा ही हाल है किसानों का। अगर प्रकृति की नजर टेढ़ी गुई तो फसल बरबाद। […] Read more » Featured बजट बजट पर किसान परिचर्चा