समाज लुप्तप्राय हो रहे हैं पुरातन संसाधन September 20, 2018 by अनिल अनूप | Leave a Comment अनिल अनूप लोकजीवन में देसी परिवहन के साधनों में ‘बैलगाड़ी’ हमारी परम्परा एवं किसानी संस्कृति का ऐसा मजबूत आधार रही है, जिसके बिना किसान के जीवन की परिकल्पना नहीं की जा सकती। पहर के तड़के बैलगाड़ियों के पहियों से चूं-चूं चर्र-चर्र व बैलों के गले में बजने वाले घुंघरूओं से संगीत की जो स्वर लहरियां […] Read more » किसानी संस्कृति बैलगाड़ी भेरड़ा लुप्तप्राय हो रहे हैं पुरातन संसाधन
धर्म-अध्यात्म समाज “गाय और मनुष्य का माता और पुत्र-पुत्री का सम्बन्ध” May 26, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य और गाय दोनों चेतन शरीरधारी प्राणी हैं। दोनों ही शाकाहारी भी हैं परन्तु दोनों के भोजन में भिन्नता है। मनुष्य गोदुग्ध, फल व अन्न आदि का सेवन करता है तो गाय माता घास व तृण आदि वनस्पतियों का सेवन करती है। यदि गाय को अन्न दिया जाये तो वह उसका […] Read more » Featured ऋषि दयानन्द गाय और मनुष्य गोमांसाहारियों दूध परमात्मा बैलगाड़ी माता और पुत्र-पुत्री वेदों में ईश्वर