विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-59 October 27, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   इस मंत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जैसे हमारा मुख सिर के अग्र भाग में होता है, वैसे ही यान का संचालन यंत्र अग्रभाग में ही रखना चाहिए। इसे तीन आवरण वाला अर्थात सुरक्षा, गति व संचालन की दृष्टि से त्रिवृत्त कहा गया है। संचालन कक्ष में […] Read more » Featured India world leader भारत विश्वगुरू
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-58 October 26, 2017 by राकेश कुमार आर्य | 1 Comment on विश्वगुरू के रूप में भारत-58 राकेश कुमार आर्य वहां कहा गया है-”ओ३म् अग्निमीडे पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम्। होतारं रत्नधातमम्।।” (ऋ. 1/1/1) यहां पर अग्नि को सर्वत: हित करने में अग्रणी मानते हुए उसकी स्तुति करने की बात कही गयी है। इसका अभिप्राय है कि वेद का ऋषि अग्नि के गुणों से परिचित था। तभी तो उसने उसकी स्तुति का उपदेश दिया […] Read more » Featured India India as world leader भारत भारत की विमान विद्या विमान विद्या विश्वगुरू विश्वगुरू भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-57 October 22, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य ऋग्वेद (10/85/47) ने पति-पत्नी को जल के समान मिलने की बात तो कही ही है, साथ ही इनके मिलन को और भी अधिक सुंदर और उपयोगी बनाते हुए एक उपदेश और दिया है। जिसमें ‘सं मातरिश्वा’ की बात कही गयी है। इसका अभिप्राय है कि तुम दोनों परस्पर मिलकर ऐसे रहो जैसे […] Read more » Featured India India as world leader world leader ऋग्वेद भारत विश्वगुरू
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-56 October 20, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य वेद (अथर्व 03/30/2) में आया है :-अनुव्रत: पितु पुत्रो मात्रा भवतु संमना:। जाया पत्ये मधुमतीं वाचं वदतु शन्तिवाम्।। वेद का आदेश है कि पुत्र अपने पिता का अनुव्रती हो, पिता के अनुकूल आचरण करने वाला हो। पिता के दिये गये निर्देशों का वह श्रद्घापूर्वक पालन करे। ध्यान रहे कि पिता का हृदय […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-55 October 18, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य कलकत्ता की टकसाल के अध्यक्ष रहे प्रो. विल्सन ने कहा था-”मैंने पाया कि ये लोग सदा प्रसन्न रहने वाले और अथक परिश्रमी हैं। उनमें चापलूसी का अभाव है और चरमसीमा की स्पष्टवादिता है। मैं यह कहना चाहूंगा कि जहां भी भयरहित विश्वास है वहीं स्पष्टवादिता भारतीयों के चरित्र की एक विशिष्ट विशेषता […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-54 October 18, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य (5) सर्वकल्याण था भारत का धर्म अन्त्योदयवाद और सर्वोदयवाद भारत के आदर्श रहे हैं। ऐसी उत्कृष्ट सांस्कृतिक भावना की रक्षा करना भी भारत का धर्म था। विदेशी लुटेरे शासक डाकू समूह के रूप में उठे और विश्व के कोने-कोने में फैल गये। उनका कार्य उस समय लूटमार और हिंसा हो गया था। […] Read more » Featured कृष्ण जन्मभूमि भारत रामजन्मभूमि विश्वगुरू विश्वगुरू भारत सोमनाथ
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-52 October 15, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  दूध को जब तक आप बिना पानी मिलाये बेच रहे हैं, तब तक वह व्यवहार है, पर जब उसमें पानी की मिलावट की जाने लगे और अधिकतम लाभ कमाकर लोगों का जीवन नष्ट करने के लिए बनावटी दूध भी मिलावटी करके बेचा जाने लगे तब वह शुद्घ व्यापार हो जाता है। […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-51 October 15, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   (16) रैक्ण-वैध या लब्धव्य राशियों में से जो संशयित राशि है, अर्थात जिसकी प्राप्ति की आशा पर संशय है व रैक्ण कही जाती है। (17) द्रविण-उपार्जित राशि में से जो लाभराशि हमारे व्यक्तिगत कार्य के लिए है-उसे द्रविण कहा जाता है। (18) राध:-द्रविण में से जो भाग बचकर अपनी निधि […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-50 October 13, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य आज का अर्थशास्त्र इसे ‘ले और दे’ की व्यवस्था कहता है, पर वेद की व्यवस्था ले और दे (त्रद्ब1द्ग ड्डठ्ठस्र ञ्जड्डद्मद्ग) से आगे सोचती है। वह कहती है कि जिसने आपको जो कुछ दिया है उस देने में उसके भाव का सम्मान करते हुए उसे कृतज्ञतावश उसे लौटा दो। जिससे कि उसके […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-48 October 12, 2017 / October 12, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   इसके पश्चात पुन: गायत्री मंत्र का स्थान वैदिक सन्ध्या में आता है। जिसकी व्याख्या की हम पुन: कोई आवश्यकता नहीं मान रहे हैं। उसके पश्चात अगला मंत्र ‘समर्पण’ का है- हे ईश्वर दयानिधे भवत्कृपयानेन जपोपासनादिकर्मणा धर्मार्थकाममोक्षाणां सद्य: सिद्विर्भवेन्न:। अर्थात-”हे ईश्वर दयानिधे! आपकी कृपा से जो-जो उत्तम-उत्तम काम हम लोग करते […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-47 October 11, 2017 / October 11, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  विशाल शत्रु दल से जीत पाना हमारे योद्घाओं के लिए तभी संभव हो पाया था-जब हमने ईश्वरीय शक्ति को अपना सम्बल मान लिया था। हम चोर नहीं थे और ना ही हम कोई अनुचित कार्य कर रहे थे, इसलिए ईश्वर ने भी हमारा साथ दिया और हमसे संसार में विषम परिस्थितियों […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-46 October 10, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  जो जन अज्ञानवश हमसे वैर करता है या किसी प्रकार का द्वेष भाव रखता है, और जिससे हम स्वयं किसी प्रकार का वैर या द्वेषभाव रखते हैं-उस वैर भाव को हम आपके न्याय रूपी जबड़े में रखते हैं। जबड़े की यह विशेषता होती है कि जो कुछ उसके नीचे आ जाता […] Read more » कमीशन की राजनीति India India as world leader ईश्वर की न्याय-व्यवस्था भारत भारतीय राज्य व्यवस्था राजा राजा और राजनीति विश्वगुरू