धर्म-अध्यात्म
पूज्य तरुण सागर जी का यूं मृत्यु को महोत्सव बनाना
by प्रवीण गुगनानी
पूज्य संत तरुण सागर जी मृत्यु को महोत्सव बना गए, उनका शिष्य परिवार (मुझ सहित) भी मृत्यु का आनंद मना रहा है. हम जब मृत्यु का नाम लेतें हैं तो भीतर तक हिल उठते हैं, हड्डियों में सिहरन आभास करते हैं. मरण के नाम से भूत, पिशाच, प्रेत, यम, यमदूत, डाकिनी, शाकिनी दैत्य, राक्षस, चुड़ैल […]
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