कविता महँगाई का दंश – पुनीता सिंह August 23, 2009 / December 27, 2011 by पुनीता सिंह | 1 Comment on महँगाई का दंश – पुनीता सिंह बरसात आती है या महँगाई बरसती है बाजार मे हर चीज बहुत मंहगी है। बाहर बाढ जैसा नज़ारा है इधर घर की नाव डूबने को है। सब्ज़ियों के भाव बादल जैसे गरज रहे है हर चीज को महगाई ने डस लिया है इन्सान और इन्सानियत क्यों इतनी सस्ती हो गई? राह चलते इसके दूकानदारो की […] Read more » Inflation महँगाई