कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म महाकुंभ ने रचा इतिहास : योगी सरकार का अतुल्य प्रयास February 25, 2025 / March 25, 2025 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment -डॉ. सौरभ मालवीयउत्तर प्रदेश के प्रयाग में आयोजित महाकुंभ सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। चूंकि उत्तर प्रदेश धार्मिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध राज्य है, इसलिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। इसके अंतर्गत योगी सरकार ने महाकुंभ के भव्य आयोजन के लिए 6,990 करोड़ रुपये आवंटित किए […] Read more » Maha Kumbh created history: Incredible effort of Yogi government महाकुंभ
कला-संस्कृति संगम धरा पर लगाइये आस्था की महाकुंभ डुबकी! January 14, 2025 / January 14, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment डा श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट प्रयागराज महाकुंभ के मीडिया सेंटर का उदघाटन हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया है।उन्होंने महाकुंभ की विशेषताओं का वर्णन करते हुए महाकुंभ में डेढ़ लाख टॉयलेट,70 हजार बिजली के खम्बे,बेहिसाब लाइटिंग,800 बसों का संचालन और मां की रसोई में मात्र 9 रुपये में शुद्ध सात्विक भरपेट खाने जैसे व्यवस्था गिनाई है।उत्तर प्रदेश सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग ने महाकुंभ 2025 की भव्य लाइव कवरेज के लिए यहां एक ऐसा दिव्य मीडिया सेंटर बनाया है जो न सिर्फ पूरी तरह से सुसज्जित है बल्कि देश विदेश से आने वाले मीडियाकर्मियों के लिए सुव्यवस्थित समाचार प्रेषण तकनीकी सुविधा उपलब्ध कराई गई है। महाकुंभ को अलौकिक, दिव्य व भव्य बताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माना कि सुरक्षित कुंभ हम सबके लिए एक चुनौती है।इस कुंभ में श्रद्धालुओं को शानदार सड़के,धर्म और आस्था से ओतप्रोत कलाकृतियां, विभिन्न वेशभूषाओं से सुसज्जित सन्तो के अखाड़े,संगम में दूर तक फैले रेगिस्तान पर योग साधना के बड़े बड़े वातानुकूलित कक्ष, प्रेरक उपदेश व प्रवचनों की श्रंखला को दिव्यता का रूप दे रही है। हिंदू धर्म का यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है। जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुंभ का स्नान करने और अपनी आस्था लेकर आ रहे है। प्रयागराज, हरिद्वार,उज्जैन और नासिक में जब भी महाकुम्भ या कुंभ होता है, श्रद्धालु बड़ी संख्या कुंभ स्नान करते हैं। इन पांचो मे से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष महाकुम्भ का आयोजन होता है। हरिद्वार और प्रयागराज में दो महाकुंभ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुंभ भी होता है।प्रयागराज में इससे पूर्व सन 2013 में महाकुम्भ में हुआ था।फिर सन 2019 में प्रयागराज में अर्धकुंभ हुआ था और अब महाकुंभ की छटा हम सबको लुभा रही है। यह महाकुम्भ मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है।क्योंकि उस समय सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशी में और वृहस्पति, मेष राशी में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति के इस योग को “महाकुम्भ स्नान-योग” भी कहते हैं और इस दिन को विशेष मंगलिक पर्व माना जाता है। कहा जाता है कि पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार इस दिन ही खुलते हैं और इस प्रकार इस दिन स्नान करने से आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति सहजता से हो जाती है। महाकुंभ के आयोजन को लेकर कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। जिनमें से सर्वाधिक मान्य कथा देव-दानवों द्वारा समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत कुंभ से अमृत बूँदें गिरने को लेकर है। इस कथा के अनुसार महर्षि दुर्वासा के शाप के कारण जब इंद्र और अन्य देवता कमजोर हो गए तो दैत्यों ने देवताओं पर आक्रमण कर उन्हें परास्त कर दिया। तब सब देवता मिलकर भगवान विष्णु के पास गए और उन्हे सारा वृतान्त सुनाया। तब भगवान विष्णु ने उन्हे दैत्यों के साथ मिलकर क्षीरसागर का मंथन करके अमृत निकालने की सलाह दी। भगवान विष्णु के ऐसा कहने पर संपूर्ण देवता दैत्यों के साथ संधि करके अमृत निकालने के यत्न में लग गए। अमृत कुंभ के निकलते ही देवताओं के इशारे से इंद्रपुत्र ‘जयंत’ अमृत-कलश को लेकर आकाश में उड़ गया। उसके बाद दैत्यगुरु शुक्राचार्य के निर्देश पर दैत्यों ने अमृत को वापस लेने के लिए जयंत का पीछा किया और घोर परिश्रम के बाद उन्होंने बीच रास्ते में ही जयंत को पकड़ लिया। तत्पश्चात अमृत कलश पर अधिकार जमाने के लिए देव-दानवों में बारह दिन तक अविराम युद्ध होता रहा।इस परस्पर मारकाट के दौरान पृथ्वी के चार स्थानों प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक पर कलश से छलक कर अमृत बूँदें गिरी थीं। उस समय चंद्रमा ने घट से प्रस्रवण होने से, सूर्य ने घट फूटने से, गुरु ने दैत्यों के अपहरण से एवं शनि ने देवेन्द्र के भय से घट की रक्षा की। कलह शांत करने के लिए भगवान ने मोहिनी रूप धारण कर यथाधिकार सबको अमृत बाँटकर पिला दिया। इस प्रकार देव-दानव युद्ध का अंत किया गया। चूंकि अमृत प्राप्ति के लिए देव-दानवों में परस्पर बारह दिन तक निरंतर युद्ध हुआ था। देवताओं के बारह दिन मनुष्यों के बारह वर्ष के तुल्य होते हैं। इस कारण कुंभ भी बारह होते हैं। उनमें से चार कुंभ पृथ्वी पर होते हैं और शेष आठ कुंभ देवलोक में होते हैं, जिन्हें देवगण ही प्राप्त कर सकते हैं, मनुष्यों की वहाँ पहुँच नहीं है,ऐसा माना जाता है। जिस समय में चंद्रादिकों ने कलश की रक्षा की थी, उस समय की राशियों पर रक्षा करने वाले चंद्र-सूर्यादिक ग्रह जब आते हैं, उस समय महाकुंभ का योग होता है अर्थात जिस वर्ष, जिस राशि पर सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति का संयोग होता है, उसी वर्ष, उसी राशि के योग में, जहाँ-जहाँ अमृत बूँद गिरी थी, वहाँ-वहाँ महाकुंभ होता है। 600 ई पू के बौद्ध लेखों में नदी मेलों का उल्लेख मिलता है।400 ई पू के सम्राट चन्द्रगुप्त के दरबार में यूनानी दूत ने एक मेले को प्रतिवेदित किया ,ऐसा कहा जाता है। विभिन्न पुराणों और अन्य प्राचीन मौखिक परम्पराओं पर आधारित पाठों में पृथ्वी पर चार विभिन्न स्थानों पर अमृत गिरने का उल्लेख हुआ है। महाकुम्भ मे अखाड़ो के स्नान का भी विशेष महत्वहै।सर्व प्रथम आगम अखाड़े की स्थापना हुई कालांतर मे विखंडन होकर अन्य अखाड़े बने। 547 ईसवी में अभान नामक सबसे प्रारम्भिक अखाड़े का लिखित प्रतिवेदन हुआ था।600 ईसवी में चीनी यात्री ह्यान-सेंग ने प्रयाग में सम्राट हर्ष द्वारा आयोजित महाकुम्भ में स्नान किया था।904 ईसवी मे निरन्जनी अखाड़े का गठन हुआ था जबकि 1146 ईसवी मे जूना अखाड़े का गठन हुआ। 1398 ईसवी मे तैमूर, हिन्दुओं के प्रति सुल्तान की सहिष्णुता के विरुद्ध दिल्ली को ध्वस्त करता है और फिर हरिद्वार मेले की ओर कूच करता है और हजा़रों श्रद्धालुओं का नरसंहार करता है। जिसके तहत 1398 ईसवी मे हरिद्वार महाकुम्भ नरसंहार को आज भी याद किया जाता है।1565 ईसवी मे मधुसूदन सरस्वती द्वारा दसनामी व्यवस्था की गई और लड़ाका इकाइयों का गठन किया गया । 1678 ईसवी मे प्रणामी संप्रदायके प्रवर्तक श्री प्राणनाथजी को विजयाभिनन्द बुद्ध निष्कलंक घोषित किया गया ।1684 ईसवी मे फ़्रांसीसी यात्री तवेर्निए नें भारत में 12 लाख हिन्दू साधुओं के होने का अनुमान लगाया था।1690 ईसवी मे नासिक में शैव और वैष्णव साम्प्रदायों में संघर्ष की कहानी आज भी रोंगटे खड़े करती है, जिसमे60 हजार लोग मरे थेे।1760 ईसवी मे शैवों और वैष्णवों के बीच हरिद्वार मेलें में संघर्ष के तहत 18 सौ लोगो के मरने का इतिहास है।1780 ईसवी मे ब्रिटिशों द्वारा मठवासी समूहों के शाही स्नान के लिए व्यवस्था की स्थापना हुई।सन 1820 मे हरिद्वार मेले में हुई भगदड़ से 430 लोग मारे गए जबकि 1906 मे ब्रिटिश कलवारी ने साधुओं के बीच मेला में हुई लड़ाई में बीचबचाव किया ओर अनेको की जान बचाई।1954 मे चालीस लाख लोगों अर्थात भारत की उस समय की एक प्रतिशत जनसंख्या ने प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ में भागीदारी की थी।उस समय वहां हुई भगदड़ में कई सौ लोग मरे थे।सन1989 मे गिनिज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने 6 फ़रवरी के प्रयागराज मेले में डेढ़ करोड़ लोगों की मौजूदगी प्रमाणित की थी, जो कि उस समय तक किसी एक उद्देश्य के लिए एकत्रित लोगों की सबसे बड़ी भीड़ थी।जबकि सन 1995 मे इलाहाबाद के “अर्धकुम्भ” के दौरान 30 जनवरी के स्नान दिवस में 2 करोड़ लोगों की उपस्थिति बताई गई थी।सन 1998 मे हरिद्वार महाकुम्भ में 5 करोड़ से अधिक श्रद्धालु चार महीनों के दौरान पधारे थे। 14 अप्रैल के दिन एक करोड़ लोगो की उपस्थिति ने सबको चौंका दिया था ।सन 2001मे इलाहाबाद के मेले में छः सप्ताहों के दौरान 7 करोड़ श्रद्धालु आने का दावा किया गया था। 24 जनवरी 2001 के दिन 3 करोड़ लोग के महाकुंभ में पहुंचने की बात की गई थी।सन 2003 मे नासिक मेले में मुख्य स्नान दिवस पर 60 लाख लोगो की उपस्थिति महाकुम्भ के प्रति व्यापक जनआस्था का प्रमाण है। महाकुंभ में अलौकिकता का बोध लौकिक सुंदरता को देखकर सहज ही हो जाता है,तो आप भी आइए और लगा लीजिए इस महाकुंभ में आस्था की डुबकी । डा श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट Read more » Take a Mahakumbh dip of faith at the Sangam Dhara महाकुंभ संगम धरा
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म नवजागरण का वाहक बने महाकुंभ January 2, 2025 / January 2, 2025 by डॉ.वेदप्रकाश | Leave a Comment डॉ.वेदप्रकाश भारतीय समाज एवं लोक जीवन में पर्व-उत्सव, मेले, स्नान एवं कुंभ जैसे छोटे-बड़े अनेक पर्व नवजागरण के वाहक बनते रहे हैं। कुंभ अथवा महाकुंभ स्नान का ही अवसर नहीं होते बल्कि वे व्यक्ति, समाज और राष्ट्र जीवन के लिए नवजागरण के वाहक अथवा संजीवनी भी बनते हैं। प्रयागराज में महाकुंभ का आरंभ हो […] Read more » Mahakumbh became the bearer of renaissance महाकुंभ
समाज लोकतंत्र के महाकुंभ पर धुंधलके क्यों? January 28, 2019 / January 28, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्गअप्रैल-मई 2019 में संभावित लोकसभा चुनाव को देखते हुए अनेक प्रश्न खडे़ हैं, ये प्रश्न इसलिये खड़े हुए हैं क्योंकि महंगाई, बेरोजगारी, बेतहाशा बढ़ते डीजल-पेट्रोल के दाम, आदिवासी-दलित समाज की समस्याएं, भ्रष्टाचार आदि समस्याओं के समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये। आज भी आम आदमी न सुखी बना, न समृद्ध। […] Read more » महाकुंभ लोकतंत्र
समाज विचार महाकुंभ से क्या हासिल? May 17, 2016 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment संघ परिवार के सामने विचारों को जमीन पर उतारने की चुनौती -संजय द्विवेदी उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ का लाभ लेते हुए अगर मध्यप्रदेश सरकार ने जीवन से जुड़े तमाम मुद्दों पर संवाद करते हुए कुछ नया करना चाहा तो इसमें गलत क्या है? सिंहस्थ के पूर्व मध्य प्रदेश की सरकार ने अनेक गोष्ठियां […] Read more » mahakumbh singastha mahakumbh महाकुंभ विचार