धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-५५ April 27, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment श्रीकृष्ण ने वृन्दावनवासियों को सांत्वना देने के लिए अपने परम सखा उद्धव को गोकुल भेजने का निर्णय लिया। वे श्रीकृष्ण के चचेरे भाई थे। उद्धव जी वृष्णिवंश के एक श्रेष्ठ व्यक्ति थे। वे देवताओं के गुरु बृहस्पति के शिष्य थे। वे अत्यन्त बुद्धिमान तथा निर्णय लेने में सक्षम थे। उनकी तर्कशक्ति अनुपम थी। अपनी वाक्पटुता […] Read more » यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-५४ April 27, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment तात वसुदेव और माता देवकी को साथ लेकर श्रीकृष्ण-बलराम विशिष्ट यादव सामन्तों के साथ महाराज उग्रसेन को मुक्त करने हेतु मुख्य कारागार की ओर चल पड़े। महाराज उग्रसेन और महारानी के पैर बेड़ियों से जकड़े हुए थे। यादवों ने अविलंब उनकी बेड़ियां खोलीं। अब वे स्वतंत्र थे। दोनों के नेत्र अश्रु-वर्षा कर रहे थे। पुत्र […] Read more » यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-४७ April 20, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment श्रीकृष्ण, बलराम और मित्रों के साथ मंद स्मित बिखेरते हुए मंथर गति से राजपथ पर अग्रसर हो रहे थे। वे गजराज की भांति चल रहे थे। मथुरावासियों ने श्रीकृष्ण के अद्भुत लक्षणों की ढेर सारी चर्चायें सुन रखी थीं। जब प्रत्यक्ष रूप से राजपथ पर आगे बढ़ते हुए भ्राताद्वय के दर्शन प्राप्त हुए, तो भावातिरेक […] Read more » यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-४५ April 17, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment सूरज अपना गुण-धर्म कब भूलता है! प्राची के क्षितिज पर अरुणिमा ने अपनी उपस्थिति का आभास करा दिया। व्रज की सीमा में आकर पवन भी ठहर गया। पेड़-पौधे और अन्य वनस्पति ठगे से खड़े थे। पत्ता भी नहीं हिल रहा था। गौवों ने नाद से मुंह फेर लिया। दूध पीने के लिए मचलने वाले बछड़े […] Read more » यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-४३ April 15, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment नन्द बाबा ने ब्रह्मास्त्र चला ही दिया। सारे संसार को समझाना आसान था लेकिन मैया को? बाप रे बाप! वे तो अपनी सहमति कदापि नहीं देंगी। श्रीकृष्ण को बाबा ने धर्मसंकट में डाल ही दिया। परन्तु आज्ञा तो आज्ञा थी। अनुपालन तो होना ही था। दोनों भ्राता अन्तःपुर में पहुंचे। वहां माता यशोदा और रोहिणी […] Read more » Featured krisna tale यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-३९ April 10, 2015 / April 11, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment अपनी अद्भुत लीला समाप्त कर श्रीकृष्ण ने व्रज लौटने का निश्चय किया। व्रज में श्रीकृष्ण की अनुपस्थिति से प्रोत्साहित अरिष्टासुर ने व्रज को तहस-नहस करने के उद्देश्य से व्रज में प्रवेश किया। उसने वृषभ का रूप धारण कर रखा था। उसके कंधे के पुट्ठे तथा डील-डौल असामान्य रूप से विशाल थे। उसके खुरों के पटकने […] Read more » Featured Krishna बिपिन किशोर सिन्हा यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-38 April 8, 2015 / April 11, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment वह शरद-पूर्णिमा की रात थी। बेला, चमेली, गुलाब, रातरानी की सुगंध से समस्त वातावरण मह-मह कर रहा था। चन्द्रदेव ने प्राची के मुखमंडल पर उस रात विशेष रूप से अपने करकमलों से रोरी-केशर मल दी थी। उस रात मंडल अखंड था। वे नूतन केशर की भांति लाल हो रहे थे, मानो संकोचमिश्रित अभिलाषा से युक्त […] Read more » Featured Krishna बिपिन किशोर सिन्हा यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-36 April 7, 2015 / April 11, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment आश्चर्य! घोर आश्चर्य!! सात वर्ष का बालक गोवर्धन जैसे महापर्वत को अपनी ऊंगली पर सात दिनों तक धारण किए रहा। विस्मय से सबके नेत्र विस्फारित थे। सभी एक-दूसरे को प्रश्नवाचक दृष्टि से देख रहे थे, पर थे सभी अनुत्तरित। जिज्ञासा चैन से बैठने कहां दे रही थी। नन्द बाबा के अतिरिक्त किसमें सामर्थ्य थी जो […] Read more » Featured यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-३५ April 6, 2015 / April 11, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment देवराज इन्द्र का आदेश पाते ही समस्त घातक बादल वृन्दावन के उपर प्रकट हुए। वहां निरन्तर बिजली की चमक, बादलों की गर्जना तथा प्रबल झंझा के साथ अनवरत वर्षा होने लगी। मोटे-मोटे स्तंभों के समान अविराम वर्षा करते हुए बादलों ने धीरे-धीरे वृन्दावन के संपूर्ण क्षेत्र को जलमग्न कर दिया। वर्षा के साथ तीव्र गति […] Read more » Featured Krishna बिपिन किशोर सिन्हा यशोदानंदन यशोदानंदन-३५
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-३३ April 4, 2015 / April 7, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment पृथ्वी पर हेमन्त ऋतु का आगमन हो चुका था। कास के श्वेत पुष्पों से धरा आच्छादित थी। प्रभात होते ही हरसिंगार के श्वेत-पीले पुष्प धरती पर गिर जाते थे। ऐसा प्रतीत होता था कि वृन्दावन की धरती पर श्वेत-पीले गलीचे बीछ गए हों। ग्रीष्म की तेज धूप और शिशिर की लगातार वृष्टि के बाद हेमन्त […] Read more » यशोदानंदन विपिन किशोर सिन्हा
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-३२ April 3, 2015 / April 4, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment राधा का गोरा मुखमंडल लज्जासे आरक्त हो उठा। मन में असमंजस के भाव उठ रहे थे – एक अपरिचित छोरे को अपना परिचय दें, या न दें। परन्तु वह भी समझ नहीं पा रही थी। उस अपरिचित छोरे का मुखमंडल और मधुर स्वर चिर परिचित जैसा क्यों लग रहा था? एक बार पुनः वह मुड़ी। […] Read more » Featured Krishna radha यशोदानंदन विपिन किशोर सिंहा
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-२९ March 21, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment श्रीकृष्ण जैसे-जैसे बड़े हो रहे थे, उनके सम्मोहन में गोप-गोपियां, ग्वाल-बाल, पशु-पक्षी, नदी-नाले, पहाड़ी-पर्वत, पेड़-पौधे, वन-उपवन – सभी एक साथ बंधते जा रहे थे। उन्होंने अब छठे वर्ष में प्रवेश कर लिया था। उनकी सुरक्षा के लिए चिन्तित माता-पिता अब अपेक्षाकृत अधिक विश्वास से भर गए थे। अपने बाल्यकाल में ही उन्होंने पूतना से लेकर […] Read more » यशोदानंदन यशोदानंदन-२९ श्रीकृष्ण