प्रवक्ता न्यूज़ “जीवात्मा और शरीर” July 16, 2018 / July 16, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य को मनुष्य इस लिये कहते हैं क्योंकि यह मननशील प्राणी है। मनन का अर्थ है कि मन की सहायता से हम अपने कर्तव्यों व गुण-दोष को जानकर गुणों का ग्रहण व दोषों का त्याग करें। यदि हम मनन करना छोड़ देते हैं और काम, क्रोध, लोभ में फंस कर स्वार्थ […] Read more » “जीवात्मा और शरीर” Featured अनिच्छा अप्रसन्नता आनन्द ऋषि दयानन्द पहिचानना पुरुषार्थ बल मनुष्य विलाप विवेक वैर
समाज क्या वाकई हम वैसे हैं, जैसा कि खुद को कहते या समझते हैं ?? April 16, 2018 by राजकुमार झांझरी | Leave a Comment राजकुमार झांझरी दुनिया के लोग स्व-विवेक के बजाय औरों के थोपे गये विचारों के अनुरुप अपना जीवन संचालित करने का प्रयास करते हैं और यही उनकी दुख-तकलीफों का मुख्य कारण है। वे कभी इस बात की सच्चाई को जानने की कोशिश नहीं करते कि जिन्हें वे फॉलो कर रहे हैं अथवा फॉलो करते आ रहे […] Read more » Featured कृृष्ण गुरु दुनिया धर्मगुरुओं पादरियों मौलवियों विवेक
धर्म-अध्यात्म जन्म-मरण के दु:खों से मुक्ति के विवेक व वैराग्य आदि चार साधन March 14, 2016 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on जन्म-मरण के दु:खों से मुक्ति के विवेक व वैराग्य आदि चार साधन मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य के जीवन का मुख्य उद्देश्य सभी प्रकार के दुःखों से मुक्ति व मोक्ष की प्राप्ति है। मुक्ति व मोक्ष एक प्रकार की जीवात्मा को पूर्ण स्वतन्त्रता है जिसमें शुभ व अशुभ कर्मों के फलों का भोग नहीं होता। यह स्वतन्त्रता वा मुक्ति हमें अपने मिथ्या व अशुभ कर्मों के फलों के […] Read more » चार साधन जन्म-मरण दु:खों से मुक्ति विवेक वैराग्य