धर्म-अध्यात्म गीता का कर्मयोग और आज April 18, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment गीता का कर्मयोग और आज राकेश कुमार आर्य  गीता का अठारहवां अध्याय अधर्म को धर्म समझ लेना घोर अज्ञानता का प्रतीक है। मध्यकाल में बड़े-बड़े राजा महाराजाओं ने और सुल्तानों ने अधर्म को धर्म समझकर महान नरसंहारों को अंजाम दिया। ये ऐसे नरसंहार थे -जिनसे मानवता सिहर उठी थी। वास्तव में ये कार्य तामसी […] Read more » Featured अर्जुन इन्द्रियां प्राण भय मनुष्य निद्रा मनुष्य मन विषाद शोक श्रीकृष्णजी