कविता अजीब सा सपना August 3, 2017 by बीनू भटनागर | Leave a Comment कल रात देखा मैने इक अजीब सा सपना, समझ में आये किसी को तो उसका अर्थ समझाना। दिशाहीन से सब दौड़ रहे थे, किसी को पता ही नहीं था अपना ही ठिकाना। कुछ बच्चे बिलख रहे थे भूखे और प्यासे! कुछ बच्चे भाग रहे थे निन्यानवें के पीछे! कुछ बच्चे करतब दिखा रहे थे नाच […] Read more » सपना
विविधा सपना या सच June 30, 2010 / December 23, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on सपना या सच -मनोज लिमये एक किसना था। सुबह हो या शाम पीकर आराम, यही इसके जीवन का मूल मंत्र था। पिता की असमय हुई मृत्यु ने इस मूलमंत्र में छुपी मूल आत्मा को थोड़ा नुकसान पहुँचाया है, पर जिन्दगी यथावत् जारी है। पहले पिताजी जब खेत देख लेते थे तब कभी ये सोचने की जरूरत नहीं हुई […] Read more » Dream सपना