अजीब सा सपना

0
247

कल रात देखा मैने
इक अजीब सा सपना,
समझ में आये किसी को तो
उसका अर्थ समझाना।
दिशाहीन से सब दौड़ रहे थे,
किसी को पता ही नहीं था
अपना ही ठिकाना।
कुछ बच्चे बिलख रहे थे
भूखे और प्यासे!
कुछ बच्चे भाग रहे थे
निन्यानवें के पीछे!
कुछ बच्चे करतब दिखा रहे थे
नाच और गा भी रहे थे
पचपन कहाँ खो गया
कोई ये तो बताना!
महिलायें भाग रहीं थी
सेल के पीछे
जल्दी से जितना बटोर लूं
उतना ही अच्छा,
इतना सस्ता और अच्छा
फिर मिले या न मिले कभीभी!
कुछ युवा भागे जा रहे थे
पहाड़ की तरफ
ट्रैफिक जैम में फंसते फंसते
किसी तरह पहाड़ पर पंहुचे
पहाड़ का माल भी
चावड़ी बाज़ार बन गया,
थकान मिटाने चले थे
और थक कर ही लौटे!
पर भाग रहे थे वो
मसूरी नैनीताल की तरफ
या किसी और पहाड़ की तरफ…
एक दौड़ लगी थी
हर कार्यालय में हर तरफ
किसको गिराकर
कौन आगे बढ गया
हर इंसान दौड़ रहा था
कहीं न कहीं पर।
पर राजनीति की दौड़ मे है
थोडी सी अकड़!
यहाँ पर कोई अकेला
नहीं दौड़ता है कभी भी
उसके पीछे दौड़ने का भी है
कुछ सबब।
जिसके साथ जितने दौड़े
वो जीत जायेगा,
कंही और फायदा मिला
तो छोड़ भी जायेगा।
इस दौड़ मे कोई जीत हार नहीं थी
एक दूसरे को रौंदकर सब भाग रहे थे
कौन गिरा कौन मरा
यह जश्न मना रहा था मीडिया
आठ दस को बुला कर
चिल्ला रहा था मीडिया
मीडिया में भी बड़ी दौड़ लगी है
हर कोई सबसे आगे है
सबसे तेज़ खुद को बता रहा था
समझ में आ सके किसी को
इस सपने का अर्थ तो मुझे ज़रूर बताना!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,058 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress