लेख स्वार्थ चेतना भी अस्वस्थ कर देती है July 3, 2021 / July 3, 2021 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:- कोरोना महामारी हमें बड़ी सीख दी है कि हम समाज एवं देश में एक साथ तभी रह पाते हंै जब वास्तविक प्रेम, निस्वार्थ भावना एवं संवेदना को जीने का अभ्यास करते हैं। उसका अभ्यास सूत्र है-साथ-साथ रहो, तुम भी रहो और मैं भी रहूं। या ‘तुम’ या ‘मैं’ यह बिखराव एवं विघटन […] Read more » Selfish consciousness also makes unhealthy स्वार्थ चेतना
समाज ‘‘ समाज में उजालें कम क्यों हो रहे हैं? ’ July 13, 2018 / July 13, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग स्वार्थ चेतना अनेक बुराइयों को आमंत्रण है। क्योंकि व्यक्ति सिर्फ व्यक्ति नहीं है, वह परिवार, समाज और देश के निजी दायित्वों से जुड़ा है। अपने लिए जीने का अर्थ है अपने सुख की तलाश और इसी सुख की तलाश ने अनेक समस्याएं पैदा की हैं। सामाजिक जीवन का एक आधारभूत सूत्र है सापेक्षता। […] Read more » ‘‘ समाज में उजालें कम क्यों हो रहे हैं? ’ Featured आश्वस्त करना ग्लानि का निवारण करना देश या राष्ट्र न अविश्वास न असुरक्षा की आशंका होगी न शत्रुता न संग्रह न हिंसा वात्सल्य प्रकट करना समाज संस्था स्वार्थ चेतना