कविता साहित्य हर उम्र वैसे अजीब होती है December 5, 2017 by बीनू भटनागर | Leave a Comment ये सत्तर की उम्र भी अजीब होती है, बुढ़ापे की दहलीज़ होती है, इसके आगे जितनी मिल जाये, सूद पर व्याज होती है। सत्तर की उम्र में भी रोमांस होता है, अंदाज़ ज़रा सा अलग होता है तुमने दवाई खाई अब आराम करलो, ऐसी बातें होती है। किसको कितनी दवाइयां निगलनी […] Read more » Featured हर उम्र वैसे अजीब होती है