कविता प्रवक्ता न्यूज़ विविधा ||| आओ सजन ||| August 14, 2015 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment आओ सजन , अब तो मेरे घर आओ सजन ! तेरे दर्शन को तरसे है ; मेरे भीगे नयन ! घर , दर सहित सजाया है ; अपने मन का आँगन !! आओ सजन , अब तो मेरे घर आओ सजन !!! तू नहीं तो जग , क्यों सूना सूना सा लगता है ! तू […] Read more » आओ सजन