राजनीति चुनावी चंदे में पारदर्शिता का सवाल December 28, 2016 / December 28, 2016 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on चुनावी चंदे में पारदर्शिता का सवाल जिस ब्रिटेन से हमने संसदीय सरंचना उधार ली है,उस बिट्रेन में परिपाटी है कि संसद का नया कार्यकाल शुरू होने पर सरकार मंत्री और संासदो की संपति की जानकारी और उनके व्यावसायिक हितों को सार्वजानिक करती है। अमेरिका में तो राजनेता हरेक तरह के प्रलोभन से दूर रहें, इस दृष्टि से और मजबूत कानून है। वहां सीनेटर बनने के बाद व्यक्ति को अपना व्यावसायिक हित छोड़ना बाघ्यकारी होता है। जबकि भारत में यह पारिपाटी उलटबांसी के रूप में देखने में आती है। यहां सांसद और विधायाक बनने के बाद राजनीति धंधे में तब्दील होने लगती है। ये धंधे भी प्रकृतिक संपदा के दोहन, भवन निर्माण, सरकारी ठेके, टोल टैक्स, शराब ठेके और सार्वजानिक वितरण प्रणाली के राशन का गोलमाल कर देने जैसे गोरखधंधो से जुड़े होते है। Read more » Featured transparency in election funds आॅनलाइन भुगतान व्यवस्था केंद्र सरकार केन्द्रीय सूचना आयोग चंदे में पारदर्शिता चल- अचल संपति का खुलासा राज्यसभा सचिवालय विमुद्रीकरण