विविधा उठाने होंगे अभिव्यक्ति के खतरे June 27, 2011 / December 9, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 3 Comments on उठाने होंगे अभिव्यक्ति के खतरे बंशीधर मिश्र अब अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने ही होंगे तोड़ने होंगे मठ और गढ़ सब पहुंचना होगा दुर्गम पहाड़ों के उस पार… गजानन माधव मुक्तिबोध की ये पंक्तियां कई दशक पहले जिन संदर्भों में लिखी गई थीं, भले वे बदल गए हों पर हालात बिलकुल नहीं बदले। भले ही भारतीय संविधान देश के हर […] Read more » J Day जे डे ज्योतिर्मय डे
मीडिया कलम के सिपाही गोली के शिकार June 20, 2011 / December 11, 2011 by सरिता अरगरे | 1 Comment on कलम के सिपाही गोली के शिकार सरिता अरगरे पत्रकारिता हमेशा से जोखिम भरा काम रहा है, लेकिन इस खतरे में वैश्विक तौर पर लगातार इजाफा हो रहा है। जनहित और सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर निर्भीकता से कलम चलाने वाले इन खतरों से बखूबी वाकिफ़ हैं। पूँजीवाद के दौर में कलम के सिपाहियों को माफ़ियाओं के साथ ही सत्ता के […] Read more » J Day जे डे ज्योति डे