धर्म-अध्यात्म किसे कहते हैं वास्तविक ‘धर्म’ May 17, 2010 / December 23, 2011 by तनवीर जाफरी | 5 Comments on किसे कहते हैं वास्तविक ‘धर्म’ -तनवीर जाफरी चाहे वह सऊदी अरब में पवित्र काबा हो या इराक में नजफ़ और करबला जैसे पवित्र स्थलों में बनी हारत अली व हारत इमाम हुसैन की दरगाहें। चाहे भारत में अमृतसर का स्वर्ण मंदिर हो या दक्षिण भारत में तिरुपति का प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर। इसी प्रकार के विभिन्न धर्मों व संप्रदायों के और […] Read more » Religion धर्म
आलोचना कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर की 150 जयन्ती पर विशेष- दीन-हीन का सम्मान पद है धर्म May 13, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर की 150 जयन्ती पर विशेष- दीन-हीन का सम्मान पद है धर्म -जगदीश्वर चतुर्वेदी हिंदी के बुद्धिजीवियों में धर्म ‘इस्तेमाल करो और फेंको’ से ज्यादा महत्व नहीं रखता। अधिक से अधिक वे इसके साथ उपयोगितावादी संबंध बनाते हैं। धर्म इस्तेमाल की चीज नहीं है। धर्म मनुष्यत्व की आत्मा है। मानवता का चरम है। जिस तरह मनुष्य के अधिकार हैं, लेखक के भी अधिकार हैं,वैसे ही धर्म के […] Read more » Rabindranath Tagore कविवर धर्म रवीन्द्रनाथ टैगोर
धर्म-अध्यात्म सच्चाई से धर्म का पालन करके धरती पर स्वर्ग उतारा जा सकता है – अखिलेश आर्येन्दु April 17, 2010 / December 24, 2011 by अखिलेश आर्येन्दु | 1 Comment on सच्चाई से धर्म का पालन करके धरती पर स्वर्ग उतारा जा सकता है – अखिलेश आर्येन्दु छान्दोग्योपनिषद् में धर्म शब्द की उत्पत्ति ‘धृ’ धातु में ‘मन्’ प्रत्यय से बताई गई है। महाभारत में भगवान व्यास ‘धारयति इति धर्मः को विस्तार देते हुए कहते हैं-धारणाद् धर्म मित्याहुर्धर्मों धारयति प्रजाः। यानी जो धर्म को धारण करता है, वह जीवन को धारण करता है। हिन्दू धर्म में धर्म को एक विधि बताया गया है। […] Read more » Religion धर्म
राजनीति राजनीति में धर्म की उपयोगिता ? January 28, 2010 / December 25, 2011 by तनवीर जाफरी | 8 Comments on राजनीति में धर्म की उपयोगिता ? धर्म, मानव समाज द्वारा अपनाई जाने वाली एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय वस्तु का नाम है। धर्म की अलग-अलग परिभाषाएं भी हमारे पूर्वजों द्वारा गढ़ी गई हैं। कहीं धर्म को धारण करने के रूप में परिभाषित किया गया है तो कहीं इसे मनुष्य की आस्था तथा उसके विश्वास के साथ जोड़ा गया है। कुल मिलाकर हम […] Read more » Religion धर्म राजनीति
परिचर्चा राजनीति परिचर्चा : मार्क्सवाद और धर्म January 20, 2010 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 36 Comments on परिचर्चा : मार्क्सवाद और धर्म इन दिनों ‘मार्क्सवाद और धर्म के बीच संबंध’ पर बहस जोरों पर है। पिछले दिनों केरल से माकपा के पूर्व सासद डा. केएस मनोज ने अपनी आस्था व उपासना के अधिकार की रक्षा का प्रश्न उठाते हुए पार्टी से त्यागपत्र दे दिया। डा. केएस मनोज को 2004 में माकपा ने तब लोकसभा का टिकट दिया […] Read more » Marxism धर्म मार्क्सवाद
धर्म-अध्यात्म प्रथम भारतीय नवजागरणकाल में वेद धर्म और विचारधाराएं January 6, 2010 / December 25, 2011 by केशव आचार्य | 5 Comments on प्रथम भारतीय नवजागरणकाल में वेद धर्म और विचारधाराएं प्राचीन भारतीय सभ्यता औऱ संस्कृतियों के विकास का इतिहास, धर्मों के विकास औऱ उनके स्वरूपों के प्रत्यक्ष में आने की एक गहरी परंपरा का ही इतिहास है। प्रत्येक युग या आने वाले समय में धार्मिक बदलाव आये जिनका समाज पर भी गहरा प्रभाव पड़ता गया। प्रत्येक नये धर्म के साथ पुराने धर्मों की छाप वैसे […] Read more » Religion धर्म नवजागरण वेद