लेख शख्सियत साहित्य नागार्जुन की कविता का भावबोध July 1, 2016 by शैलेन्द्र चौहान | Leave a Comment शैलेन्द्र चौहान बाबा नागार्जुन को भावबोध और कविता के मिज़ाज के स्तर पर सबसे अधिक निराला और कबीर के साथ जोड़कर देखा गया है। वैसे, यदि जरा और व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो नागार्जुन के काव्य में अब तक की पूरी भारतीय काव्य-परंपरा ही जीवंत रूप में उपस्थित देखी जा सकती है। उनका कवि-व्यक्तित्व […] Read more » Featured Poet Nagarjun काव्य-संसार नागार्जुन नागार्जुन का संपूर्ण काव्य-संसार बाबा नागार्जुन
आलोचना नागार्जुन जन्मशती पर विशेष- मुस्लिम आर्थिक नाकेबंदी और हम October 9, 2010 / October 9, 2010 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 5 Comments on नागार्जुन जन्मशती पर विशेष- मुस्लिम आर्थिक नाकेबंदी और हम -जगदीश्वर चतुर्वेदी भगवान से भी भयावह है साम्प्रदायिकता। साम्प्रदायिकता के सामने भगवान बौना है। साम्प्रदायिकता और साम्प्रदायिक दंगे दहशत का संदेश देते हैं। ऐसी दहशत जिससे भगवान भी भयभीत हो जाए। जैसाकि लोग मानते हैं कि भगवान के हाथों (यानी स्वाभाविक मौत) आदमी मरता है तो इतना भयभीत नहीं होता जितना उसे साम्प्रदायिक हिंसाचार से […] Read more » नागार्जुन
आलोचना नागार्जुन जन्मशती पर विशेष-हिन्दी में कीर्त्ति फल के उपभोक्ता October 9, 2010 / December 21, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on नागार्जुन जन्मशती पर विशेष-हिन्दी में कीर्त्ति फल के उपभोक्ता -जगदीश्वर चतुर्वेदी नागार्जुन पर जो लोग शताब्दी वर्ष में माला चढ़ा रहे हैं। व्याख्यान झाड़ रहे हैं। नागार्जुन के बारे में तरह-तरह का ज्ञान बांट रहे हैं ऐसे हिन्दी में 20 से ज्यादा लेखक नहीं हैं। ये लेखक कम साहित्य के कर्मकाण्डी ज्यादा लगते हैं। आप इनमें से किसी को भी फोन कीजिए ये लोग […] Read more » hindi नागार्जुन हिन्दी