धर्म-अध्यात्म “वैदिक धर्म सर्वश्रेष्ठ क्यों है?” October 19, 2018 / October 19, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, संसार में अनेक मत मतान्तर प्रचलित हैं। सभी अपने आप को मत, पन्थ आदि न कह कर ‘‘धर्म” कहते हैं। क्या यह सभी धर्म हैं? यदि ये सभी धर्म होते तो इनकी सभी मान्यतायें, सिद्धान्त व परम्परायें एक समान होती व सत्य होती। जल का जो धर्म है वह उसका तरल होना, […] Read more » “वैदिक धर्म सर्वश्रेष्ठ क्यों है?” ईश्वर उपासना परोपकार पुरुषार्थ प्रार्थना यज्ञ स्तुति
प्रवक्ता न्यूज़ “जीवात्मा और शरीर” July 16, 2018 / July 16, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य को मनुष्य इस लिये कहते हैं क्योंकि यह मननशील प्राणी है। मनन का अर्थ है कि मन की सहायता से हम अपने कर्तव्यों व गुण-दोष को जानकर गुणों का ग्रहण व दोषों का त्याग करें। यदि हम मनन करना छोड़ देते हैं और काम, क्रोध, लोभ में फंस कर स्वार्थ […] Read more » “जीवात्मा और शरीर” Featured अनिच्छा अप्रसन्नता आनन्द ऋषि दयानन्द पहिचानना पुरुषार्थ बल मनुष्य विलाप विवेक वैर
धर्म-अध्यात्म सभी प्रकार के दुःखों की निवृत्ति परम पुरुषार्थ है January 5, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य का शरीर अन्नमय है। यह शीतोष्ण आदि कारणों से रोगी होकर दुःखों को प्राप्त होता है। व्यायाम की कमी, भोजन में पौष्टिक पदार्थों की कमी व अभक्ष्य पदार्थों के सेवन से भी शरीर को दुःख प्राप्त होता है। संसार में परमात्मा ने अनेक प्रकार के प्राणी बनाये हैं उनसे भी […] Read more » पुरुषार्थ
धर्म-अध्यात्म पुरुषार्थ और प्रारब्ध December 29, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हमारा जीवन प्रारब्ध की नींव पर बना है और जीवन को सार्थक करने के लिए हमें पुरुषार्थ करना है। हम वेद मार्ग पर चलते हुए ज्ञान प्राप्ति, उपासना व समाजोत्थान के लिए जितने कार्य करेंगे उससे हमारा वर्तमान और भावी जीवन यशस्वी व सुखमय होगा। प्रश्न है कि पुरुषार्थ और प्रारब्ध हैं […] Read more » पुरुषार्थ प्रारब्ध