आलोचना जनसत्ता का प्रगतिशीलता विरोधी मुहिम और के. विक्रम राव का सफेद झूठ / जगदीश्वर चतुर्वेदी May 25, 2012 / June 28, 2012 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 3 Comments on जनसत्ता का प्रगतिशीलता विरोधी मुहिम और के. विक्रम राव का सफेद झूठ / जगदीश्वर चतुर्वेदी जगदीश्वर चतुर्वेदी जनसत्ता अपनी प्रगतिशीलता विरोधी मुहिम में एक कदम आगे बढ़ गया है. उसने के.विक्रम राव का जनसत्ता के 13मई 2012 के अंक में “न प्रगति न जनवाद, निपट अवसरवाद” शीर्षक से लेख छापा है। यह लेख प्रगतिशील लेखकों और समाजवाद के प्रति पूर्वग्रहों से भरा है। यह सच है राव साहब की लोकतंत्र […] Read more » के. विक्रम राव जनसत्ता प्रगतिशील मार्क्सवाद वैचारिक अश्पृश्यता
महत्वपूर्ण लेख प्रगतिशील पाप और पाखण्ड : शंकर शरण November 14, 2011 / December 3, 2011 by शंकर शरण | 13 Comments on प्रगतिशील पाप और पाखण्ड : शंकर शरण शंकर शरण प्रगतिशील लेखक संघ की (प्र.ले.सं.) स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने पर हुई एक गोष्ठी में मंच पर प्रेमचंद की बड़ी सी तस्वीर लगी थी। मानो प्रेमचंद ही उसके संस्थापक हों! जबकि वास्तविक संस्थापकों सज्जाद जहीर, मुल्कराज आदि की छवि गायब थी। सन् 1936 में प्र.ले.सं. के एक सम्मेलन की अध्यक्षता जरूर प्रेमचंद […] Read more » Hypocrisy Sin कॉमरेड प्रगतिशील वामपंथ