राजनीति समाज एकात्म मानववाद – एक दिव्य सिद्धांत September 25, 2018 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी महान दार्शनिक प्लेटो के शिष्य व सिकंदर के गुरु अरस्तु ने कहा था – “विषमता का सबसे बुरा रूप है विषम चीजों को एक सामान बनाना।” The worst form of inequality is to try to make unequal things equal. एकात्म मानववाद, विषमता को इससे बहुत आगे के स्तर पर जाकर हमें समझाता है. भारत को देश से […] Read more » अंग्रेज शासन ईश्वरीय भाव फासीवाद मार्क्सवाद राष्ट्र राष्ट्रहित
राजनीति मार्क्सवाद में ‘इन्हैरंट डिफेक्ट’ है, इसके लिए अभिमन्यु की जरूरत ही नहीं है / धनाकर ठाकुर June 4, 2012 / June 28, 2012 by डॉ. धनाकर ठाकुर | 2 Comments on मार्क्सवाद में ‘इन्हैरंट डिफेक्ट’ है, इसके लिए अभिमन्यु की जरूरत ही नहीं है / धनाकर ठाकुर गोष्ठी में यह जानते हुए भी कि कवि-पत्रकार मंगलेश डबराल घोषित वामपंथी हैं, अध्यक्षता का आमन्त्रण देना सोचनीय था वैसे विषय “समांतर सिनेमा का सामाजिक प्रभाव” सामाजिक था. प्रतिष्ठान भी क्या प्रगतिशीलता का प्रमाणपत्र चाहता है? उन्होंने प्रतिष्ठान में अपनी उपस्थिति को ‘चूक’ बताया तो इसमें अचरज की बात नहीं हुई. वामपंथ से जुड़ी बौद्धिकधारा […] Read more » भारत नीति प्रतिष्ठान मार्क्सवाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वैचारिक अश्पृश्यता
राजनीति लोकतंत्र में संघ का कु-संग और कम्युनिस्टों का सत्संग / जगदीश्वर चतुर्वेदी June 4, 2012 / June 28, 2012 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 10 Comments on लोकतंत्र में संघ का कु-संग और कम्युनिस्टों का सत्संग / जगदीश्वर चतुर्वेदी ‘भारत नीति प्रतिष्ठान और मंगलेश डबराल’ विवाद को लेकर हम ‘प्रवक्ता’ पर ‘वैचारिक छुआछूत’ पर केन्द्रित बहस चला रहे हैं. इसी क्रम में हमने सर्वश्री जगदीश्वर चतुर्वेदी और विपिन किशोर सिन्हा से आग्रह किया था कि इस विषय पर अपने विचार हमें भेंजे. यह प्रसन्नता का विषय है कि दोनों महानुभावों के लेख हमें प्राप्त […] Read more » बहुलता मार्क्सवाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वैचारिक अश्पृश्यता