लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-80 March 31, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का पंद्रहवां अध्याय और विश्व समाज जो लोग अपनी ज्ञान रूपी खडग़ से या तलवार से संसार वृक्ष की जड़ों को काट लेते हैं और विषयों के विशाल भ्रमचक्र से मुक्त हो जाते हैं- उनके लिए गीता कहती है कि ऐसे लोग अभिमान और मोह से मुक्त हो गये […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का पंद्रहवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-79 March 31, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का पंद्रहवां अध्याय और विश्व समाज यह जो प्रकृति निर्मित भौतिक संसार हमें दिखायी देता है-यह नाशवान है। इसका नाश होना निश्चित है। यही कारण है कि गीता के पन्द्रहवें अध्याय में प्रकृति को ‘क्षर’ कहा गया है। इससे जो कुछ बनता है वह क्षरण को प्राप्त होता है। […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का पंद्रहवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-78 March 29, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का चौदहवां अध्याय और विश्व समाज क्या है त्रिगुणातीत? जब श्रीकृष्णजी ने त्रिगुणों की चर्चा की और लगभग त्रिगुणातीत बनकर आत्म विजय के मार्ग को अपनाकर जीवन को उन्नत बनाने का प्रस्ताव अर्जुन के सामने रखा तो अर्जुन की जिज्ञासा मुखरित हो उठी। उसने अन्त:प्रेरणा से प्रेरित होकर श्रीकृष्णजी […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का कर्मयोग और आज का विश्व त्रिगुणातीत विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-77 March 29, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का चौदहवां अध्याय और विश्व समाज मलीन बस्तियों में रहने वाले लोगों को हमें उनके भाग्य भरोसे भी नहीं छोडऩा चाहिए। उनके उत्थान व कल्याण के लिए सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर कार्य होते रहने चाहिएं। उनके विषय में हमने जो कुछ कहा है वह उनकी दयनीय अवस्था को ज्यों […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का चौदहवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-71 March 19, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का तेरहवां अध्याय और विश्व समाज जैसे एक खेत का स्वामी अपने खेत के कोने-कोने से परिचित होता है कि खेत में कहां कुंआ है? कहां उसमें ऊंचाई है? कहां नीचा है? उसकी मिट्टी कैसी है? उसमें कौन सी फसल बोयी जानी उचित होगी?-इत्यादि। वैसे ही हममें से अधिकांश […] Read more » Featured आज का विश्व गीता का कर्मयोग गीता का तेरहवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-70 March 16, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य    गीता का तेरहवां अध्याय और विश्व समाज श्री अरविन्द का कहना है कि कर्म को और ज्ञान को हम अपनी इच्छा से चलायें या इन्हें भगवान की इच्छा में लीन कर दें? -गीता ने इस प्रश्न को उठाकर इसका उत्तर दिया है। हमारा कर्म, हमारा ज्ञान कितना संकुचित है, […] Read more »  गीता का कर्मयोग आज का विश्व  गीता का तेरहवां अध्याय Featured आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग गीता का बारहवां अध्याय विश्व विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-69 March 16, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का बारहवां अध्याय और विश्व समाज यहां पर गीता के 12वें अध्याय के जिस श्लोक का अर्थ हमने ऊपर दिया है-उसमें ‘सर्वारम्भ परित्यागी’ शब्द आया है। इसके विषय में सत्यव्रत सिद्घान्तालंकार जी बड़ी तार्किक बात कहते हैं :-”सर्वारम्भ त्यागी का अर्थ कुछ लोग यह करते हैं कि जो किसी […] Read more »  गीता का बारहवां अध्याय Featured आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग विश्व विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-68 March 13, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का बारहवां अध्याय और विश्व समाज गीता का उद्देश्य है कि हे संसार के लोगों! चाहे तुम जिस रास्ते को भी अपनाओ उसे अपना लो, पर मेरी एक शर्त है कि बनो धार्मिक। तुम्हारी धार्मिकता ही तुम्हें संसार के लिए उपयोगी बनाये रखेगी। यदि बहुत ऊंची और गहरे ज्ञान […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का बारहवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-67 March 13, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य    गीता का बारहवां अध्याय और विश्व समाज यह जो अव्यक्त है ना, इसके ओर-छोर का पता तो प्रकाश की गति से दौडक़र भी नहंी लगाया जा सकता। इसके उपासक होने का अर्थ भी उतना ही व्यापक है जितना अव्यक्त स्वयं में व्यापक है, विशाल है, विस्तृत है। आप अनुमान […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का बारहवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-66 March 10, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  गीता का ग्यारह अध्याय और विश्व समाज श्रीकृष्णजी को यह स्पष्ट हो गया था कि अब युद्घ अनिवार्य है और अर्जुन ने गांडीव की डींगें हांकते हुए कौरवों को समाप्त करने का संकल्प भी ले लिया पर जब युद्घ की घड़ी आयी तो अर्जुन की मति मारी गयी। अब वह ‘किंकत्र्तव्यविमूढ़’ […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग गीता का ग्यारह अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-62 February 21, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का दसवां अध्याय और विश्व समाज ”तुझे पर्वतों में खोजा तो लिये पताका खड़ा था। तुझे सागर मेें खोजा तो मां के चरणों में पड़ा था। सर्वत्र तेरे कमाल से विस्मित सा था मैं, मुझे पता चल गया तू सचमुच सबसे बड़ा था।।” ईश्वर को खोजने वाली दृष्टि होनी […] Read more » Featured karmayoga of geeta todays world आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग गीता का दसवां अध्याय विश्व समाज
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-61 February 21, 2018 / February 21, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  गीता का दसवां अध्याय और विश्व समाज सत्य है परमात्मा सृष्टि का आधार। उसके साधे सब सधै जीव का हो उद्घार।। वह परमपिता-परमात्मा सत्य है। सत्य वही होता है जो इस सृष्टि से पूर्व भी विद्यमान था और इसके पश्चात भी विद्यमान रहेगा, जो अविनाशी है। वह परमपिता परमात्मा अपने स्वभाव […] Read more » गीता का दसवां अध्याय Featured karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग विश्व समाज