समाज जीवन की राह: शांति की चाह September 29, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग – आज हर व्यक्ति चाहता है – हर दिन मेरे लिये शुभ, शांतिपूर्ण एवं मंगलकारी हो। संसार में सात अरब मनुष्यों में कोई भी मनुष्य ऐसा नहीं होगा जो शांति न चाहता हो। मनुष्य ही क्यों पशु-पक्षी, कीट-पंतगें आदि छोटे-से-छोटा प्राणी भी शांति की चाह में बेचैन रहता है। यह ढ़ाई अक्षर का […] Read more » अशांति कुंठा घुटन जीवन की राह: शांति की चाह तनाव नाम रूप शब्द शास्त्र संत्रास संस्कार संस्कृति सिद्धांत
कविता भव्य भव की गुहा में खेला किए, September 15, 2018 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment (मधुगीति १८०८०८ अ) भव्य भव की गुहा में खेला किए, दिव्य संदेश सतत पाया किए; व्याप्ति विस्तार हृदय देखा किए, तृप्ति की तरंगों में विभु भाए ! शरीर मन के परे जब धाए, आत्म आयाम सामने आए; समर्पण परम आत्म जब कीन्हे, मुरारी मुग्ध भाव लखि लीन्हे ! झाँकना परा मन से जब आया, जगत […] Read more » झरने भव्य भव मुरारी मुग्ध संस्कार
कला-संस्कृति खोने लगे हैं मूल्य और संस्कार June 6, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on खोने लगे हैं मूल्य और संस्कार -डॉ. दीपक आचार्य- जब तक मूल्यों का दबदबा था तब तक सभी प्रकार की अच्छाइयों का मूल्य था। जब से मूल्यहीनता का दौर आरंभ हुआ है सभी प्रकार के मूल्यों में गिरावट आयी है। मूल्यों में जब एक बार गिरावट आ जाती है तब यकायक इसका पारा ऊपर नहीं चढ़ पाता। यह कोई सेंसेक्स […] Read more » Featured खोने लगे हैं मूल्य और संस्कार जिंदगी जीवन संस्कार
चिंतन समाज संस्कारहीनता ही है सब समस्याओं की जड़ March 30, 2012 / April 11, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 5 Comments on संस्कारहीनता ही है सब समस्याओं की जड़ – डॉ. दीपक आचार्य समाज में आज सब कुछ दिखाई देता है लेकिन जो नहीं दीख पा रहे हैं वे हैं- संस्कार हैं। इन्हीं की कमी से व्यक्ति व समुदाय से लेकर परिवेश और राष्ट्र तक में समस्याओं, कुटिलताओं, विदु्रपताओं और क्षुद्र ऐषणाओं के कई-कई मोहपाश अपना शिकंजा कसते जा रहे हैं। संस्कारहीनता ही वह […] Read more » cutural rite संस्कार