कविता आज की जनता June 25, 2018 / June 25, 2018 by विनीत कुमार शर्मा | Leave a Comment विनीत कुमार शर्मा मुश्किल थी तब बढ़ती जाती चिंता चारो ओर, गली गली में बैठे थे कुछ ऐसे समाज के चोर कुछ ऐसे चोर जो खाते जनता का पैसा, करते थे अय्यासी पता नहीं कैसा कैसा II बहकाते बरगलाते रोज जनता को ऐसे, देश की दौलत हो जैसे उनके बाप के पैसे, जनता का विस्वास […] Read more » आज की जनता नदी विकास रहनुमा समाज सहानुभूति
समाज वे दुखडा न गाएंगे ,न तुम, अनुमान कर पाओगे ! March 9, 2018 by डॉ. मधुसूदन | 7 Comments on वे दुखडा न गाएंगे ,न तुम, अनुमान कर पाओगे ! डॉ. मधुसूदन (एक) माता-पिता सेवा का आदर्श: भक्त पुण्डलिक से भेंट करने भगवान कृष्ण जब पहुँचे, पुण्डलिक माता-पिता- की सेवा में व्यस्त थे. पुण्डलिक ने एक ईंट फेंकी और भगवान को उसपर खडे रह कर, राह देखने का अनुरोध किया. ईंट को मराठी में विट कहते हैं. उस विट के स्थल या थल पर खडे […] Read more » Featured दुखडा माता-पिता सेवा का आदर्श सहानुभूति
मीडिया कनु भाई पर क्यों सहानुभूति? May 18, 2016 by श्री विवेक अग्रवाल | 1 Comment on कनु भाई पर क्यों सहानुभूति? विवेक सक्सेना पत्रकारिता में मैंने जो सबसे अहम बात सीखी और याद रखी, वह यह है कि लोगों की याददाश्त जितनी कमजोर होती है तो जानने की इच्छा उतनी ही प्रबल होती है। कम से कम जिस तरह से महात्मा गांधी के पोते कनु भाई मीडिया पर छा गए है उससे तो यह एक बार […] Read more » Featured कनु भाई सहानुभूति