विधि-कानून विविधा जजों की नियुक्ति का विकल्प तलाशना महत्वपूर्ण January 15, 2017 by महेश तिवारी | 1 Comment on जजों की नियुक्ति का विकल्प तलाशना महत्वपूर्ण संवैधानिक देश के लिए यह नितान्त महत्वपूर्ण तथ्य होता है कि वहां के नागरिकों को ऐसी सुविधाएं नसीब हो, जिससे उन्हें अपना सामाजिक और आर्थिक जीवन में रूकावट न हो. देश के लोगों को भारतीय संविधान के द्वारा कुछ अधिकार दिये गए है जिसकी रक्षा करना हमारे संवैधानिक तंत्र की जिम्मेदारी बनती है। आज देश […] Read more » appointment of judges collegium system Collegium System of judges Featured जजों की नियुक्ति न्याय प्रक्रिया की गति धीमी
विधि-कानून विविधा क्या न्यायपालिका सर्वशक्तिमान है? October 31, 2016 by वीरेंदर परिहार | Leave a Comment लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह कि पारदर्शिता के इस दौर में और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पारदर्शिता की पक्षधर न्यायपालिका अपने लिए पारदर्शिता की पक्षधर नहीं है। वह रंच-मात्र भी जवाबदेह नहीं होना चाहती। वह सबके मामले में हस्तक्षेप कर सकती है, यहां तक कि कानून भी बना सकती है जो संसद का काम है, पर अपने मामले में वह कोई नियंत्रण स्वीकार करने को तैयार नहीं है। Read more » appointment of judges Featured इलाहाबाद हाईकोर्ट काॅलेजियम न्यायपालिका सुप्रीम कोर्ट
विधि-कानून समाज जजों की नियुक्ति एक भ्रमजाल …!! October 31, 2016 by एडवोकेट मनीराम शर्मा | Leave a Comment मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति किरुबकरन ने एक अवमान मामले की सुनवाई में कहा है कि देश की जनता पहले ही न्यायपालिका से कुण्ठित है अत: पीड़ित लोग में से मात्र 10% अर्थात अतिपीडित ही न्यायालय तक पहुंचते हैं| सुप्रीम कोर्ट के जानमाने वकील प्रशांत भूषण ने कहा है कि भारत में न्याय मात्र 1% ही होता है| समय समय पर लोक अदालतें लगाकर समझौतों के माध्यम से मामले निपटाकर वाही वाही लूटी जाती है जबकि समझौते न्यायपालिका की सफलता न होकर विफलता है क्योंकि समझौते कमजोर पक्ष के हित की बलि देने पर ही संपन्न होते हैं Read more » appointment of judges Featured जजों की नियुक्ति