आर्थिकी पूंजीवाद जी का जंजाल… महंगाई-भ्रष्टाचार से दुनिया बदहाल….. February 12, 2011 / December 15, 2011 by श्रीराम तिवारी | 2 Comments on पूंजीवाद जी का जंजाल… महंगाई-भ्रष्टाचार से दुनिया बदहाल….. श्रीराम तिवारी आधुनिकतम उन्नत सूचना एवं प्रौद्द्योगिकी के दौर में विश्व-रंगमंच पर कई क्षणिकाएं-यवनिकाएं बड़ी तेजी से अभिनीत हो रहीं हैं . २१ वीं शताव्दी का प्रथम दशक सावधान कर चुका है कि दुनिया जिस राह पर चल रही है वो धरती और मानव मात्र की जिन्दगी को छोटा करने का उपक्रम मात्र है .जीवन […] Read more » Capitalism पूंजीवाद
राजनीति पूंजीवाद से बेहतर है साम्यवाद -रूमानियाई रिफ्रेंडम का सार … February 10, 2011 / December 15, 2011 by श्रीराम तिवारी | Leave a Comment श्रीराम तिवारी वैश्विक आर्थिक संकट के परिणामस्वरूप जनांदोलनों की दावाग्नि वैसे तो सारी धरती को अंदर से धधका रही है. आधुनिकतम सूचना एवं संचार माध्यमों की भी जन-हितकारी भूमिका अधिकांश मौकों पर द्रष्टव्य रही है. इस आर्थिक संकट की चिंगारी का मूल स्त्रोत पूर्वी यूरोप और सोवियत साम्यवाद के पराभव में सन्निहित है. दुनिया भर […] Read more » Capitalism पूंजीवाद साम्यवाद
विविधा कूपमंडूक विचारक हतप्रभ हैं वैश्वीकरण से January 6, 2011 / December 16, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on कूपमंडूक विचारक हतप्रभ हैं वैश्वीकरण से जगदीश्वर चतुर्वेदी कूपमंडूक विचारकों को वैश्वीकरण अभी तक समझ में नहीं आया है। वे यह देखने में असफल हैं कि भारत का बुनियादी आर्थिक नक्शा बदल चुका है। कूपमंडूक विचारकों में कठमुल्लापन इस कदर हावी है कि उनकी कूपमंडूकता के समाने विनलादेन भी शर्मिंदा महसूस करता है। भूमंडलीकरण और आर्थिक उदारीकरण को औचक और कूपमंडूक […] Read more » Capitalism बुद्धिजीवी वैश्वीकरण
राजनीति पूंजीवाद की सफलता का रहस्य November 17, 2010 / December 19, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 5 Comments on पूंजीवाद की सफलता का रहस्य हिन्दुस्तान में ऐसे लोगों की किल्लत नहीं हैं जिन्हें मार्क्सवाद का अंत नजर आता है और पूंजीवाद अमर नजर आता है। पहली बात यह कि पूंजीवाद के अंत के रूप में मार्क्सवाद को देखना ही गलत है। खासकर भूमंडलीकरण,नव्य उदार आर्थिक नीतियों के आगमन के बाद सारी दुनिया में जिस तरह के घटनाक्रम का विकास […] Read more » Capitalism पूंजीवाद की सफलता पूंजीवाद की सफलता का रहस्य
राजनीति बुरे को अच्छा बनाने की कारपोरेट कला August 13, 2010 / December 22, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 3 Comments on बुरे को अच्छा बनाने की कारपोरेट कला -जगदीश्वर चतुर्वेदी हमें बार-बार यही बताया जा रहा है कि हम पूंजीवाद का समर्थन करें। हमें सहनशील बनने की सीखें प्रदान की जा रही हैं। हमें कहा जा रहा है कि हम तटस्थ रहें, विवादों, संघर्षों, मांगों के लिए होने वाले सामूहिक संघर्षों से दूर रहें, सामूहिक संघर्ष बुरे होते हैं। आम आदमी को तकलीफ […] Read more » Capitalism कॉरपोरेट पूंजीवाद
विश्ववार्ता बर्बर पूंजीवाद का मॉडल है रूस-चीन का June 24, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 2 Comments on बर्बर पूंजीवाद का मॉडल है रूस-चीन का -जगदीश्वर चतुर्वेदी सोवियत संघ और चीन का समाजवाद से पूंजीवाद में रूपान्तरण हो चुका है। आज रूस और चीन बदल गए हैं। वे वैसे नहीं है जैसे समाजवाद के जमाने में थे। सामाजिक जीवन में पहले की तुलना में असुरक्षा बढ़ी है। पहले राजसत्ता से मानवाधिकारों को खतरा था आज लुंपनों ,कारपोरेट घरानों और पार्टी […] Read more » Capitalism चीन पूंजीवाद रूस