लेख देश की आजादी और आर्यसमाज August 16, 2019 / August 16, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। सृष्टि के आदि काल से महाभारत काल तक भारत का सारी दुनिया पर चक्रवर्ती राज्य रहा है। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में भी प्रायः पूरे विश्व के राजा आये थे और उन्होंने युधिष्ठिर को अपना नेता व चक्रवर्ती राजा स्वीकार किया था और उनको अपने अपने देश की मूल्यवान वस्तुयें भेंट […] Read more » Aryasamaj Country independence
राजनीति जो नहीं जानते वफ़ा क्या है ? July 24, 2019 / July 24, 2019 by निर्मल रानी | Leave a Comment निर्मल रानी देश की राज सत्ता को संचालित करने वाले राजनेताओं से जनता को हमेशा ही यही अपेक्षा रहती है कि अपनी कारगुज़ारियों से यह राजनेतागण कुछ ऐसे आदर्श स्थापित करेंगे जो देश के लोगों के लिए प्रेरणा साबित होंगे। इनसे यह उम्मीद की जाती है की यह देश के संविधान की रक्षा करेंगे तथा […] Read more » Country does not know what is wafa
राजनीति देश किधर जा रहा है? April 23, 2014 / April 25, 2014 by आर. के. गुप्ता | Leave a Comment -आरके गुप्ता- देश में चारों ओर चुनावी वातावरण है ऐसे में प्रत्येक राजनैतिक दल वोट पाने के लिये जनता से लोकलुभावने वादे कर रहा है। परन्तु एक विशेष सम्प्रदाय (मुस्लिम) के वोट पाने के लिये तो कुछ दल संविधान की भावनाओं का भी उल्लंघन कर रहे हैं। मुस्लिम समाज अपनी एकजुट वोटों का दबाव बनाकर […] Read more » Country politics देश देश की समस्या राजनीति
राजनीति नौटंकी बंद करो दिग्गी राजा April 17, 2011 / December 13, 2011 by डब्बू मिश्रा | Leave a Comment दिग्गी राजा उर्फ दिग्विजय सिंग बडे अफसोस के साथ आपके नाम के साथ का सम्मनसूचक शब्द जी को हटाना पड रहा है । जरा सोचकर देखो कि आप किस पद पर बैठ कर क्या क्या कह रहे हो । लगता है कांग्रेस महासचिव का पद देकर गांधी परिवार ने आपको खरीद लिया है । अपने पदमोह […] Read more » Country देश
राजनीति प्रणाली नहीं बदली तो खंडित होगा देश January 21, 2011 / December 16, 2011 by सूर्यकांत बाली | 4 Comments on प्रणाली नहीं बदली तो खंडित होगा देश सूर्यकांत बाली आज जो खंडित जनादेश आ रहे हैं, उसका कारण स्पष्ट है। आज हमारा समाज इतना अधिक खंडित हो चुका है कि वह एक देश और एक समाज के रूप में सोच नहीं पाता। समाज का हर छोटा खंड अपने स्वार्थ में इतना अधिक तल्लीन रहता है कि वह अपने लिए वोट देता है, […] Read more » Country देश
विविधा देश पर कलंक हैं मनरेगा के यह लुटेरे August 27, 2010 / December 22, 2011 by निर्मल रानी | Leave a Comment -निर्मल रानी केंद्र में सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने अपने पिछले शासनकाल में देश में बेराज़गारी कम करने के उद्देश्य से जो सबसे प्रमुख योजना लागू की थी उसका नाम था राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी योजना अर्थात् नरेगा। बाद में इसी योजना को महात्मा गांधी के नाम पर समर्पित कर इसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोज़गार योजना […] Read more » Country मनरेगा
विविधा तमाशबीनों के देश में लुटेरे August 11, 2010 / December 22, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 2 Comments on तमाशबीनों के देश में लुटेरे -जगदीश्वर चतुर्वेदी आज भारत तमाशबीनों का देश है। इसमें नागरिक नहीं तमाशबीन निवास करते हैं। तमाशबीनों की तरह आज हम सब एक-दूसरे को देख रहे हैं। पूरे समाज को देख रहे हैं। माओवादियों ने दंतेवाडा में बम के धमाके किए,निर्दोष लोग मारे गए, हम तमाशा देखते रहे। हाल ही में अहमदाबाद में दंगे हुए हम […] Read more » Country देश
विविधा कुपोषण के शिकार देश के नौनिहाल April 26, 2010 / December 24, 2011 by फ़िरदौस ख़ान | Leave a Comment यह हैरत की बात है कि जिस देश के खाद्यान भंडारों में पड़ा अनाज सड़ रहा हो उस देश के नौनिहाल कुपोषण का शिकार होकर अकाल मौत के मुंह में समा रहे हैं. यूनिसेफ द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के ऐसे बच्चों की तादाद दुनिया में सबसे […] Read more » Country देश
आर्थिकी देशी विदेशी कंपनियों के इशारों पर सरकार ! February 1, 2010 / December 25, 2011 by पीयूष पंत सरकारी फैसलों को अपने हित में प्रभावित करने के लिए कॉरपोरेटी दबाव बनाने की बात कोई नई नहीं है। पूरी दुनिया में लंबे समय से चलता आ रहा है। इसके लिए कंपनियों और उद्योगपतियों द्वारा संपर्क साधने उपहार देने जैसे तरीके अपनाए जाते रहे हैं। लेकिन आज स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि अब […] Read more » Country आर्थिक
राजनीति देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें January 21, 2010 / December 25, 2011 by पंकज झा | 9 Comments on देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें यूं तो किसी भी गणतंत्र के लिए 60 साल कोई ज्यादा समय नहीं होता, उसकी सफलता और असफलता का लेखा-जोखा मात्र इतने समय में करना संभव नहीं है। लेकिन अगर अपने आस-पड़ोस के हालात देखें तो इस सफलता पर कम से कम संतुष्ट तो हुआ ही जा सकता है। हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि यही है […] Read more » Country गणतंत्र दिवस देश