कला-संस्कृति विधि-कानून नवसंवत्सर एक नये सफर की शुरूआत March 27, 2017 / March 27, 2017 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment नवसंवत्सर 'न्यू ईयर' जैसे केवल 12 महीने का समय नापने की एक ईकाई न होकर खगोलीय घटनाओं के आधार पर भारतीय समाज के लिए सामाजिक सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक तरीके से जीवन पद्धति का पथ प्रदर्शक है। यह केवल एक नए महीने की एक नई तारीख़ न होकर पृथ्वी के एक चक्र को पूर्ण कर एक नए सफर का आरंभ काल है। यह वह समय है जब सम्पूर्ण प्रकृति पृथ्वी को इस नए सफर के लिए शुभकामनाएँ दे रही होती है। जब नए फूलों और पत्तियों से पेड़ पौधे इठला रहे होते हैं , जब मनुष्य को उसके द्वारा साल भर की गई मेहनत का फल लहलहाती फसलों के रूप में मिल चुका होता है ( होली पर फसलें कटती हैं ) और पुनः एक नई शुरुआत की प्रेरणा प्रकृति से मिल रही होती है। Read more » Featured gudi padwa एक नये सफर की शुरूआत नवसंवत्सर
कला-संस्कृति विविधा सृष्टि की रचना का पहला दिन March 27, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रचीन भारत और मघ्यअमेरिका दो ही ऐसे देश थे, जहां आधुनिक सैकेण्ड से सूक्ष्मतर और प्रकाशवर्ष जैसे उत्कृष्ठ कालमान प्रचलन में थे। अमेरिका में मय सभ्यता का वर्चस्व था। मय संस्कृति में शुक्रग्रह के आधार पर कालगणना की जाती थी। विश्वकर्मा मय दानवों के गुरू शुक्राचार्य का पौत्र और शिल्पकार त्वष्टा का पुत्र था। मय के वंशजो ने अनेक देशों में अपनी सभ्यता को विस्तार दिया। इस सभ्यता की दो प्रमुख विशेषताएं थीं, स्थापत्य कला और दूसरी सूक्ष्म ज्योतिष व खगोलीय गणना में निपुणता। रावण की लंका का निर्माण इन्हीं मय दानवों ने किया था। प्रचीन समय में युग,मनवन्तर,कल्प जैसे महत्तम और कालांश लधुतम समय मापक विधियां प्रचलन में थीं। समय नापने के कालांश को निम्न नाम दिए गए Read more » Featured gudi padwa गुड़ी पड़वा 29 मार्च सृष्टि सृष्टि की रचना का पहला दिन