गजल एक गजल -वादा करके भी तुम मुकर जाते हो July 12, 2019 / July 12, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment वादा करके भी तुम मुकर जाते हो |सच सच बताओ,तुम किधर जाते हो || करती हूँ तुम्हारा इन्तजार,बैचेन रहती हूँ |साथ मुझको भी ले जाओ,जिधर जाते हो || उमर नहीं है तुम्हारी,इधर उधर घूमने की |मेरा भी ख्याल रखो,क्यों नहीं सुधर जाते हो || बदनामी हो रही,लोगो की उँगलियाँ उठ रही |जहाँ जाना नहीं चाहिए […] Read more » form of hindi literature gazal hindi gazal
गजल हिंदी ग़ज़ल July 11, 2019 / July 11, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment शहर तो है नींद से जागा। मुंडेरों पर बोले कागा।। दिनचर्या चालू होते ही, वो दफ्तर को सरपट भागा। होने लगी मुनादी गर तो, पीट रहा है डुग्गी डागा। आपस में अनबन होते ही, टूट गया रिश्तों का तागा। न खाए परसी हुई थाली, उससे बड़ा कौन दोहागा। अविनाश ब्यौहार रायल एस्टेट कटंगी रोड जबलपुर Read more » hindi hindi gazal literature
गजल हिंदी ग़ज़ल July 10, 2019 / July 10, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment कितने रहे अभागे हैं। उलझे उलझे धागे हैं।। छोटी खुशियों के खातिर, रात रात भर जागे हैं। जिन्हें हम मसीहा समझे, वे मर्यादा लाँघे हैं। जितने होते कार्यदिवस, उतने उनके नागे हैं। कछुआ गति से जो चलते, खरगोशों से आगे हैं। अविनाश ब्यौहार रायल एस्टेट कटंगी रोड जबलपुर ReplyForward Read more » hindi hindi gazal
गजल हिंदी ग़ज़ल July 9, 2019 / July 9, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अविनाश ब्यौहार तूफाँ की अलामत है। फिर भी सब सलामत है।। बदगोई का अक्स औ, उसकी ही जसामत है। वे तो मतलब धन्य हैं, ईश्वर की नियामत है। जिस पर भी भरोसा था, वह करता हजामत है। लाड़ प्यार की जगह पर, होती अब मलामत है। लुब्ध करता ताजमहल, आखिर में क़दामत है। नौबहार बाग […] Read more » gazal hindi gazal literature
गजल हिंदी ग़ज़ल July 5, 2019 / July 5, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अविनाश ब्यौहार उपदा का कमाना है। वाइज़ का जमाना है।। बुतों का यह शहर है, बाजों को चुगाना है। जंगल में बबूलों के, खिजाँ को ही आना है। सपनों का खंडहर है, भूतों को बसाना है। बस नाम के कपड़े हैं, फ़क़त अंग दिखाना है। बहार की जुस्तजू क्या, जब कहर ही ढाना है। सुबकती […] Read more » hindi hindi gazal
गजल हिंदी गजल June 27, 2019 / June 27, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment बिगड़ी हुई आदतें पलती गईं, अहबाब को सुधारने का शुक्रिया। कोना कोना करकट बिखरा हुआ, अँगनाई को झाड़ने का शुक्रिया। नियाइश की आज तो उम्मीद थी, फिर बेवजह धुंगारने का शुक्रिया। बड़े ही अरमान से पाला उन्हें, अब बैल सा हुंकारने का शुक्रिया। अविनाश ब्यौहार, रायल एस्टेट, कटंगी रोड जबलपुर। Read more » hindi hindi gazal