विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-63 November 12, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment इतनी बड़ी संख्या में समाजसेवी संगठनों के होने के उपरान्त भी यदि परिणाम आशानुरूप नहीं आ रहे हैं तो यह मानना पड़ेगा कि कार्य उस मनोभाव से या मनोयोग से नहीं किया जा रहा है-जिसकी अपेक्षा की जाती है। हमें अपने सामाजिक स्वयंसेवी संगठनों की कार्यशैली को सुधारना होगा। जातिगत आधार पर बनने वाले सामाजिक […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-64 November 10, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment उपरोक्त लेखक आगे लिखते हैं कि-‘‘रोम में कैथोलिकों की जनसंख्या लगभग पच्चीस लाख (1978 में) है। यहां प्रतिवर्ष सत्तर नये पादरी निर्माण किये जाते थे। जब 1978 में लुसियानी (जॉन पॉल प्रथम) पोप बने तब मात्र छह पादरी ही निर्माण होते थे। वस्तुत: शहर के अधिकांश क्षेत्रों में पैगन (अर्थात मूत्र्तिपूजक हिन्दू लोग) भरे थे […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-62 November 8, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   इसी समय भारत की राष्ट्रवादी शक्तियों ने अपना योग विश्व को प्रस्तुत कर दिया है। हताशा और निराशा का मारा हुआ संसार बड़ी तेजी से ओ३म् के झण्डे तले योग की शरण में आ रहा है और अपनी हताशा और निराशा को मिटाकर आत्मिक शान्ति की अनुभूति कर रहा है। […] Read more » India India as world leader भारत विश्वगुरू
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-61 November 7, 2017 / November 8, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment तालाबों को प्राचीन काल में हमारे पूर्वज लोग बड़ा स्वच्छ रखा करते थे। पर आजकल तो इनमें कूड़ा कचरा और गंदी नालियों का गंदा पानी भरा जाता है। यही स्थिति नदियों की है। जो वस्तु हमारे जीवन का उद्घार करने में सहायक थी उन्हें ही हमने अपने लिए विनाश का कारण बना लिया है। हमें […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-58 October 26, 2017 by राकेश कुमार आर्य | 1 Comment on विश्वगुरू के रूप में भारत-58 राकेश कुमार आर्य वहां कहा गया है-”ओ३म् अग्निमीडे पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम्। होतारं रत्नधातमम्।।” (ऋ. 1/1/1) यहां पर अग्नि को सर्वत: हित करने में अग्रणी मानते हुए उसकी स्तुति करने की बात कही गयी है। इसका अभिप्राय है कि वेद का ऋषि अग्नि के गुणों से परिचित था। तभी तो उसने उसकी स्तुति का उपदेश दिया […] Read more » Featured India India as world leader भारत भारत की विमान विद्या विमान विद्या विश्वगुरू विश्वगुरू भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-57 October 22, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य ऋग्वेद (10/85/47) ने पति-पत्नी को जल के समान मिलने की बात तो कही ही है, साथ ही इनके मिलन को और भी अधिक सुंदर और उपयोगी बनाते हुए एक उपदेश और दिया है। जिसमें ‘सं मातरिश्वा’ की बात कही गयी है। इसका अभिप्राय है कि तुम दोनों परस्पर मिलकर ऐसे रहो जैसे […] Read more » Featured India India as world leader world leader ऋग्वेद भारत विश्वगुरू
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-56 October 20, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य वेद (अथर्व 03/30/2) में आया है :-अनुव्रत: पितु पुत्रो मात्रा भवतु संमना:। जाया पत्ये मधुमतीं वाचं वदतु शन्तिवाम्।। वेद का आदेश है कि पुत्र अपने पिता का अनुव्रती हो, पिता के अनुकूल आचरण करने वाला हो। पिता के दिये गये निर्देशों का वह श्रद्घापूर्वक पालन करे। ध्यान रहे कि पिता का हृदय […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-55 October 18, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य कलकत्ता की टकसाल के अध्यक्ष रहे प्रो. विल्सन ने कहा था-”मैंने पाया कि ये लोग सदा प्रसन्न रहने वाले और अथक परिश्रमी हैं। उनमें चापलूसी का अभाव है और चरमसीमा की स्पष्टवादिता है। मैं यह कहना चाहूंगा कि जहां भी भयरहित विश्वास है वहीं स्पष्टवादिता भारतीयों के चरित्र की एक विशिष्ट विशेषता […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-52 October 15, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  दूध को जब तक आप बिना पानी मिलाये बेच रहे हैं, तब तक वह व्यवहार है, पर जब उसमें पानी की मिलावट की जाने लगे और अधिकतम लाभ कमाकर लोगों का जीवन नष्ट करने के लिए बनावटी दूध भी मिलावटी करके बेचा जाने लगे तब वह शुद्घ व्यापार हो जाता है। […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-51 October 15, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   (16) रैक्ण-वैध या लब्धव्य राशियों में से जो संशयित राशि है, अर्थात जिसकी प्राप्ति की आशा पर संशय है व रैक्ण कही जाती है। (17) द्रविण-उपार्जित राशि में से जो लाभराशि हमारे व्यक्तिगत कार्य के लिए है-उसे द्रविण कहा जाता है। (18) राध:-द्रविण में से जो भाग बचकर अपनी निधि […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-50 October 13, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य आज का अर्थशास्त्र इसे ‘ले और दे’ की व्यवस्था कहता है, पर वेद की व्यवस्था ले और दे (त्रद्ब1द्ग ड्डठ्ठस्र ञ्जड्डद्मद्ग) से आगे सोचती है। वह कहती है कि जिसने आपको जो कुछ दिया है उस देने में उसके भाव का सम्मान करते हुए उसे कृतज्ञतावश उसे लौटा दो। जिससे कि उसके […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-49 October 13, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  उधर शासन के लोग भी चोरी करते हैं, वहां भी भ्रष्टाचार है। वे भी जनधन को उचित ढंग से प्रयोग नहीं करते और उसे भ्रष्टाचार के माध्यम से अपनी तिजोरियों में भरने का प्रयास करते हैं। ऐसे में करदाता और शासक वर्ग देश में सांप-छछूंदर का खेल खेलता रहता है। करदाता […] Read more » Featured India India as world leader वैदिक संस्कृति