आलोचना जरूर पढ़ें महत्वपूर्ण लेख मीडिया विधि-कानून विविधा व्यंग्य वाकई, मॉल के पास तक ही रहता है संविधान का राज March 17, 2015 / March 17, 2015 by बी.पी. गौतम | Leave a Comment फिल्में सिर्फ मनोरंजन भर का साधन नहीं हैं। आंदोलन का भी माध्यम हैं फिल्में। देश और समाज की दशा प्रदर्शित कर सामाजिक परिवर्तन में बड़ी सहायक रही हैं फिल्में। दलितों और महिलाओं के साथ पिछड़े वर्ग की सोच बदलने में फिल्मों की भूमिका अहम रही है। हाल-फिलहाल एनएच- 10 नाम की फिल्म चर्चा में है। […] Read more » comments against woman dangerous delhi eve teasing law Mall मॉल मॉल के पास तक ही रहता है संविधान का राज वाकई संविधान का राज
विविधा मेरे शहर का मॉल कल्चर July 15, 2010 / December 23, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on मेरे शहर का मॉल कल्चर -मनोज लिमये पश्चिमी ऑंधी ऐसी चली कि गाँव में लगने वाले स्वदेशी हाट धीरे-धीरे मेलों में बदले और अब देखते ही देखते ये मेले मॉल में कनवर्ट हो रहे हैं। मेरे शहर में भी आजकल एक विशेष टाईप की गंध पसरी हुई है ये गंध शहर के नवनिर्मित शॉपिंग मॉलों से निकल रही है। आदमी, […] Read more » Mall मॉल कल्चर