आर्थिकी विविधा मोदी के आर्थिक सुधारों पर अंतर्राष्ट्रीय मोहर November 23, 2017 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment “कालखंड या समय या इतिहास को हम दो भागों में विभाजित करते हैं, एक bc अर्थात बिफोर क्राइस्ट और दुसरे dc अर्थात एन्नो डोमिनी. इस प्रकार स्वातंत्र्योत्तर भारत कीअर्थव्यवस्था अब दो कालखंडो से जानी जायेगी एक नरेंद्र मोदी/नोटबंदी के पूर्व की अर्थव्यवस्था और दुसरी नरेंद्र मोदी द्वारा इस प्रतिबंध के बाद की अर्थव्यवस्था”. 9 नवम्बर2016 को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा सनसनीखेज ढंग से घोषित की गई नोटबंदी के तत्काल बाद एक समाचार पत्र हेतु लिखी गई अपनी त्वरित टिप्पणी में जब मैंने यह उपरोक्तवाक्य लिखा था तब इस वाक्य पर मैं स्वयं केवल दृढ़ था किंतु मेरे इस कथन पर आज मैं दृढ़ से एक कदम आगे बढ़कर सुदृढ़ हूँ. इस संदर्भ में एक कथन और स्मरण कराता हूँ किदेश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रम पद पर आसीन होने के बाद कहा था कि –“ हम कारोबारी सुगमता में विश्व बैंक की रेटिंग को 50 वें स्थान से नीचें ले जायेंगे”. मोदी जी कायह वचन व संकल्प पूर्णता की ओर बढ़ता दिखाई पड़ रहा है. विश्व बैंक की इस रिपोर्ट के बाद यह विश्वास व्यक्त किया जाने लगा था कि अब विश्व व्यापार जगत में भारत कीस्थिति में सुधार होगा व अन्तराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग की मूडीज व फ्लीच जैसी संस्थाएं भारत की क्रेडिट रेटिंग में खासा सुधार कर सकती हैं. अब मध्य नवंबर, 2017 तक यहसंभावना तथ्य में बदल गई है और मूडीज ने भारत की क्रेडिट रेटिंग सुधार कर देश के ठीक ठाक चल रहे आर्थिक मूड को प्रसन्नचित्त व तेजी के मूड में बदल दिया है. इस क्रेडिटरेट में सुधार से पूर्व भारत की रेटिंग दयनीय स्थिति में पहुँच गई थी और “जंक स्टेटस” से मात्र एक कदम दूर थी. भारत के संदर्भ में यह रेटिंग सुधार पिछले 13 वर्षों में पहलीबार हुआ है. इस रेटिंग सुधार ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि भारत हेतु केंद्र में एक ईमानदार व स्पष्ट बहुमत धारी सरकार कितना महत्त्व रखती है. नोटबंदी व जीएसटी जैसे बड़े व क्रांतिकारी निर्णयों के बाद मोदी सरकार कई बार दबाव में दिखती थी व प्रतीत होता था कि आलोचनाएँ उसे कुंठित करेंगी किंतु सरकारइन दुराशाओं को झुठलाया व सतत अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रही. इस संदर्भ में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर जैसी उसकी महत्वाकांक्षी योजनाओं ने सरकारी धन के तथाकथितलीकेज को एकदम बंद कर दिया अरबों रुपया यथोचित आवश्यकता वाले व्यक्तियों तक सीधा पहुँचने लगा. कालेधन की समानान्तर अर्थव्यवस्था बड़े स्तर प प्रभावित हुई वदेश का राजस्व बढ़ने लगा है. इस बढ़े राजस्व से केंद्र की मोदी सरकार कई कल्याणकारी योजनाओं को निर्बाध चला सकती है व चला भी रही है. नोटबंदी के नवम्बर 2016 के बाद पहली नवम्बर 2017 को विश्व बैंक ने कारोबारी सुगमता विषयक एक रिपोर्ट प्रस्तुत की. कारोबारी सुगमता (ईज ऑफ डुइंगबिजनस लिस्ट ) की इस रिपोर्टिंग में विश्व बैंक ने भारत की रेटिंग में 30 अंकों का सुधार करते हुए भारत को 130 वें स्थान से सुखद रूप से 100 वें स्थान पर ला खड़ा किया.रेटिंग के इस सुधार ने दुसरे ही दिन सेंसेक्स और एनएसई में आई उछाल से अपना महत्त्व स्पष्ट कर दिया था. यद्दपि इस रेटिंग के निर्धारण में नोटबंदी को वैश्विक सन्दर्भों मेंअपवाद घटना मानकर निर्णायक तथ्यों से अलग रखा गया है तथापि नोटबंदी का, अनिवार्यतः जो प्रभाव समूची अर्थव्यवस्था पर पड़ा, उसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों हीस्थितियों में विश्व बैंक की रेटिंग के संदर्भ में अलग नहीं रखा जा सकता है. मेरा कथन बड़ा ही स्पष्ट है कि चालू वर्ष में जबकि नोटबंदी व जीएसटी के बाद के कई सुधार अपनाव्यापक प्रभाव बताने लगे हैं. यह निश्चित लग रहा है कि ये प्रभाव इस रेटिंग को और श्रेयस्कर स्तर पर ले जाने में खासे सफल होंगे. अमेरिकी रेटिंग्स एजेंसी मूडीज ने भारत कीसॉवरन क्रेडिट रेटिंग्स को एक पायदान ऊपर कर दिया. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत सरकार के स्थानीय और विदेशी मुद्रा जारी करनेवाली रेटिंग्स ‘Baa3′ से बढ़ाकर’Baa2’ कर दी और रेटिंग आउटलुक को स्थिर से बढ़ाकर सकारात्मक कर दिया. यहां यह बड़ी ही उल्लेखनीय बात है कि देश के तीन वित्तीय विशेषज्ञ माने जाने वाले तीन पूर्ववित्त मंत्री मनमोहन, चिदंबरम व यशवंत सिन्हा बड़े ही दुराशयी, मिथ्या व तर्कहीन सिद्ध हो गए. नोटबंदी व जीएसटी के ये तीन बड़े आलोचक जो आर्थिक क्षेत्रों के बड़ेजानकार माने जाते हैं, उनकी आलोचना के मुख्य बिंदु ही धराशायी हो गए. विपक्ष के हाथों से आर्थिक आलोचना का एक बड़ा मुद्दा न केवल खसक गया अपितु अकारण,निराधार व थोथी आलोचना हेतु विपक्ष की भद्द भी पिट गयी. कांग्रेस व भाजपा के ही यशवंत सिन्हा को सिरे से नकारते हुए मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में जीएसटी को एक अच्छाकदम बताया है, साथ ही अन्य कई फैसलों की भी तारीफ की है. मूडीज़ की रिपोर्ट में इस रैंकिंग में सुधार की वजह भारत के द्वारा किए जा रहे आर्थिक और सांस्थानिक सुधार हैंको भी बताया है. भारत को निवेश हेतु बेहतर माहौल वाला देश बताया गया है और मूडीज ने मोदी सरकार द्वारा सरकारी कर्ज को कम करने की प्रवृत्ति को रेटिंग सुधार काएक कारण बताते हुए उसकी प्रसंशा की है. मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में जीएसटी के कारण तीव्र गति से बढ़ने वाले अंतर्राज्यीय व्यापार से भी बहुत आशाएं व्यक्त की हैं. आधार,डॉयरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम जैसे सुधारों से भी नॉन परफॉर्मिंग लोन और बैंकिंग सिस्टम में आये सुधार की भी प्रसंशा की गई है. मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में भारतीयजीडीपी में आई कमी को तात्कालिक कमी बताया है व मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों को दीर्घकालिक सुधार बताते हुए उनकी प्रसंशा की है और इस आधार पर भारत कीजीडीपी ग्रोथ मार्च 2018 तक 6.7 % होगी, यह अनुमान लगाया है. और इसके भी आगे जाकर 2019 तक जीडीपी एक बार फिर 7.5 फीसदी तक पहुंचेगी इस आशा को भीबलवती बताया है. निश्चित ही विश्व बैंक व मूडीज की रिपोर्टों व प्रसंशा से भारत का आर्थिक माहौल सुधरा है और अब अनेक प्रकार की आशाएं व्यक्त की जाने कगी हैं, जैसे – देश में भीकर्ज सस्ता होगा, भारतीय कंपनियों को सस्ता कर्ज मिलेगा. विदेशी कम्पनिया भारत में अधिक पैसा लगाएंगी. अन्य अन्तराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग कम्पनियां भी भारत की रेटिंग मेंवृद्धि करेंगी. आम जनता, कारोबारियों व उद्योगपतियों का सरकार पर भरोसा बढ़ेगा जिससे सकल उत्पाद बढेगा व इन सबके परिणाम स्वरूप महंगाई कम होगी. शेयर बाजारसुधरेंगे, आम निवेशकों को अधिक रिटर्न देंगे इससे भारतीय मुद्रा रुपया मजबूत होगा और अन्ततोगत्वा सरकार का राजस्व बढ़ेगा जिससे चहुँओर विकास होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहप्रदेश गुजरात में चल रहे चुनाव इस दिशा में निश्चित ही मोदी सरकार को कुछ बढ़त प्रदान करेंगे. व्यवसाइयों के प्रदेश गुजरात के इनचुनावों में कांग्रेस के पास जातिवाद का जहर फैलाने के अतिरिक्त नोटबंदी, जीएसटी और कारोबारी विफलता ही एक मात्र मुद्दा थी. अब स्थिति यह है कि गुजरात की जनताजातिवाद के नाम पर विभक्त हो नहीं रही व मूडीज की सुधरी हुई रेटिंग ने व विश्व बैंक की प्रसंशा ने कांग्रेस से एक बड़ा चुनावी हथियार छीन लिया है. अन्तराष्ट्रीय संस्थानों सेकेंद्र सरकार को और उसके बहुचर्चित निर्णयों को जो मान्यता मिली है इसके दीर्घकालीन व तात्कालिक दोनों ही परिणाम मोदी सरकार को मिलेंगे इतना तय है. Read more » moodys जीएसटी नोटबंदी भारत कीअर्थव्यवस्था मोदी
आर्थिकी मूडीज की मोहर से बदलेगी दिशाएं November 21, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग नोटबंदी एवं जीएसजी के आर्थिक सुधारों को लागू करने के लिये मोदी सरकार को जिन स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, उन स्थितियों में अर्थव्यवस्था को गति देने के तौर-तरीके खोजे जा रहे हैं, ऐसे समय में मोदी सरकार के लिए एक बेहतर खबर आई है कि अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ‘मूडीज’ […] Read more » Featured Moody's rating for India increased moodys कमोटिडी मार्केट जीएसटी नोटबंदी मूडीज शेयर मार्केट