कविता
माँ पर लिखी गयी तीन कविता ………….अनुराग अनंत
/ by अनुराग अनंत
(1) मैंने माँ को देखा है , तन और मन के बीच , बहती हुई किसी नदी की तरह , मन के किनारे पर निपट अकेले, और तन के किनारे पर , किसी गाय की तरह बंधे हुए , मैंने माँ को देखा है , किसी मछली की तरह तड़पते हुए बिना पानी के, पर […]
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