विविधा विद्रोह के पथ पर ‘यायावर गणतंत्र’ January 27, 2019 / January 27, 2019 by अर्पण जैन "अविचल" | Leave a Comment · डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ गणतंत्रीय गरिमा के प्रभुत्व से आलौकिक, जन के तंत्र के साथ मजबूती से सामंजस्य बनाता भारत का संविधान और एक स्वतंत्र गणराज्य के रूप में स्थापित शक्तिशाली राष्ट्र भारत सन् 1950 में जब भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू हुआ तब से ही संघर्ष की नई […] Read more » republic गणतंत्र यायावर गणतंत्र
राजनीति हमारा गणतंत्र दिवस और भारतीयता पर विचार January 16, 2019 / January 16, 2019 by राकेश कुमार आर्य | 3 Comments on हमारा गणतंत्र दिवस और भारतीयता पर विचार राकेश कुमार आर्य भारत के लिए गणतंत्र कोई नया विचार नहीं है । गणतंत्र के विषय में यदि यह कहा जाए कि इस संसार को गणतंत्र का शुद्ध विचार और सिद्धांत भारत की देन है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । भारत की प्राचीन परंपरा में गणतंत्र के माध्यम से ही शासन चलता था , […] Read more » republic गणतंत्र भारतीयता पर विचार
विविधा ‘गणतंत्र’ होता ‘गनतंत्र’ में तब्दील ! January 25, 2018 by देवेंद्रराज सुथार | Leave a Comment हमारे देश को गणतंत्र की राहों पर चलने से पहले स्वतंत्र होना पड़ा। और यह स्वतंत्रता हमें इतनी भी आसानी से नहीं मिली जितनी की हम फेसबुक की प्रोफाइल पिक्चर को तीन रंगों में रंगकर अपनी राष्ट्रभक्ति साल में दो दिन छब्बीस जनवरी और पन्द्रह अगस्त पर सार्वजनिक कर देते हैं। आज़ादी के लिए न […] Read more » republic गणतंत्र गनतंत्र
विविधा गणतंत्र दिवस के बहाने January 26, 2011 / December 15, 2011 by सतीश सिंह | 1 Comment on गणतंत्र दिवस के बहाने सतीश सिंह राष्ट्रध्वज को फहराने का अधिकार नागरिकों के मूलभूत अधिकार और अभिव्यक्ति के अधिकार का ही एक हिस्सा है। यह अधिकार केवल संसद द्वारा ऐसा परितियों में ही बाधित किया जा सकता है जिनका उल्लेख संविधान की कण्डिका 2, अनुच्छेद 19 में किया गया है। खण्डपीठ में साफ तौर पर कहा गया है कि […] Read more » Democracy republic गणतंत्र लोकतंत्र
विविधा “गण”से दूर होता “तंत्र” January 19, 2011 / December 16, 2011 by अंकुर विजयवर्गीय | 4 Comments on “गण”से दूर होता “तंत्र” अंकुर विजयवर्गीय “26 जनवरी को मैंने सोचा है कि आराम से सुबह उठूंगा, फिर दिन में दोस्तों के साथ फिल्म देखने जाना है, इसके बाद मॉल में जाकर थोड़ी शॉपिंग और फिर रात में दोस्तों के साथ दारू के दो-दो घूंट। क्यूं तुम भी आ रहे हो ना अंकुर।” अब आप बताएं कि इतना अच्छा […] Read more » republic गणतंत्र