कविता मैं होली हूँ – सतीश सिंह February 28, 2010 / December 24, 2011 by सतीश सिंह | 1 Comment on मैं होली हूँ – सतीश सिंह सदियों से मैं खुशियों की तस्वीर होली हूँ . अमराई की खुशबू हूँ, सबके दिल की धड़कन हूँ . रंगों का त्यौहार हूँ जो रंगों से कतराए उसके लिए शैतान हूँ जीवन के सफ़र में मैं बरगद की छावं हूँ अमराई की खुशबू हूँ, सबके दिल की धड़कन हूँ . फागुन की मेहरबानियाँ कछुए भी […] Read more » Holi Satish Singh मैं होली हूँ सतीश सिंह होली
कविता भष्ट्राचार की कहानी : कविता – सतीश सिंह November 10, 2009 / December 25, 2011 by सतीश सिंह | 1 Comment on भष्ट्राचार की कहानी : कविता – सतीश सिंह भष्ट्राचार की कहानी लिख दो इतिहास के पन्नों पर कोड़ा के भष्ट्राचार की कहानी भर दो उसमें गरीबों के खून की स्याही ताकि सदियों तक पढ़ा जा सके आज के इतिहास में मूल्यों से बेवफाई। Read more » Poems Satish Singh कविता भष्ट्राचार भष्ट्राचार की कहानी सतीश सिंह
कविता अवमूल्यन : कविता – सतीश सिंह November 9, 2009 / December 25, 2011 by सतीश सिंह | 2 Comments on अवमूल्यन : कविता – सतीश सिंह पता नहीं कब और कैसे धूल और धुएं से ढक गया आसमान सागर में मिलने से पहले ही एक बेनाम नदी सूख़ गई एक मासूम बच्चे पर छोटी बच्ची के साथ बलात्कार करने का आरोप है स्तब्ध हूँ खून के इल्ज़ाम में गिरफ्तार बच्चे की ख़बर सुनकर इस धुंधली सी फ़िज़ा में सितारों से आगे […] Read more » Poems Satish Singh अवमूल्यन कविता सतीश सिंह
कविता पाती : कविता – सतीश सिंह November 9, 2009 / December 25, 2011 by सतीश सिंह | Leave a Comment पाती मोबाईल और इंटरनेट के ज़माने में भले ही हमें नहीं याद आती है पाती पर आज़ भी विस्तृत फ़लक सहेजे-समेटे है इसका जीवन-संसार इसके जीवन-संसार में हमारा जीवन कभी पहली बारिश के बाद सोंधी-सोंधी मिट्टी की ख़ुशबू की तरह फ़िज़ा में रच-बस जाता है तो कभी नदी के दो किनारों की तरह […] Read more » Poems Satish Singh कविता पाती सतीश सिंह
कविता प्रोफेशनल November 8, 2009 / December 25, 2011 by सतीश सिंह कुछ भी दिल से नहीं लगाते इसलिए हैं अपने काम के प्रति बहुत ही प्रतिबध्द। लक्ष्य प्राप्त करने के लिए किसी भी हद को पार कर सकते हैं। इन्हें गलती से लौटाए ज्यादा पैसे रखने में कोई गुरेज़ नहीं। बेशर्मी से चार लोगों के बीच अकेले चाय पी सकते हैं। मांग सकते हैं दूसरों की […] Read more » Professional Satish Singh कविता प्रोफेशनल सतीश सिंह