कविता उत्ताल ताल आकाश में आच्छादित है ! August 21, 2019 / August 21, 2019 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment (मधुगीति १९०८१९ बग्रसा) उत्ताल ताल आकाश में आच्छादित है, मधुर वायु अधर का स्पर्श लिये आई है; अग्नि त्रिकोणीय आभा ले दीप्तिमान हुई है, जल हर जलज की प्राण-प्रतिष्ठा में लगा है ! धरा पर सब उनके साये में धाये हैं, अपने तन मन को आत्मयोग में डुबाये हैं; बुद्धि की हर तरंग पै तरजे […] Read more » Sky
विविधा आकाश का दुलार January 16, 2011 / December 16, 2011 by चैतन्य प्रकाश | 1 Comment on आकाश का दुलार -चैतन्य प्रकाश शिखर और सागर दोनों मनुष्य को आनंदित करते हैं मनुष्य की लगभग सारी यात्राएं शिखरों और सागरों की ओर उन्मुख रही हैं। मानवी सभ्यता के दो आत्यंतिक उत्कर्ष बिन्दुओं-धर्म और विज्ञान के विकास में शिखर और सागर सदैव प्रमुख सहयोगी रहे हैं। किसी शिखर (पहाड़) की तलहटी से या सागर के तट से […] Read more » Sky आकाश
धर्म-अध्यात्म आकाश प्रथम तत्व है ! September 19, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 3 Comments on आकाश प्रथम तत्व है ! – हृदयनारायण दीक्षित भारतीय दर्शन के पांच तत्व गांव-गांव तक चर्चित है। रामचरित मानस की क्षिति जल पावक गगन समीरा वाली चौपाई हिन्दी भाषी क्षेत्रों में गंवई गंवार भी गाते हैं। तुलसीदास ने पांच तत्वों वाली बात कोई अपनी तरफ से ही नहीं कही थी। लेकिन यही पांच तत्व समूचे भारतीय साहित्य में भी मौजूद […] Read more » Sky आकाश