लेख आत्मा को शुद्ध करने का महापर्व August 26, 2019 / August 26, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- हमारे देश में पर्वो एवं त्यौहारों की एक समृ़द्ध परम्परा रही है, यहां मनाये जाने वाले पर्व-त्योहार के पीछे कोई न कोई गौरवशाली इतिहास-संस्कृति-विचारधारा का संबंध जुड़ा होता है। जैन संस्कृति में जितने भी पर्व व त्योहार मनाये जाते हैं लगभग सभी में आत्म-साधना, तप एवं जीवनशुद्धि का विशेष महत्व है। जैनों का […] Read more » purifying soul
धर्म-अध्यात्म आत्मा अविनाशी तथा इसका शरीर नाशवान है January 1, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य हम मननशील होने से मनुष्य कहलाते हैं। मनन हम सत्यासत्य व उचित अनुचित का ही करते हैं। सत्य व उचित बातों का आचरण करना धर्म और असत्य व अनुचित बातों का आचरण अधर्म होता है। धर्म पर चलना मनुष्य का कर्तव्य है। इसलिए कि इससे हमें सुख मिलेगा और यदि अधर्म का […] Read more » Body body is ruinous indestructible ruinous soul Soul is indestructible आत्मा अविनाशी शरीर नाशवान
विविधा मन के खेल निराले मेरे भैय्या ! February 3, 2014 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | 1 Comment on मन के खेल निराले मेरे भैय्या ! -डॉ. अरविन्द कुमार सिंह- नीत्शे से किसी ने एक बार पूछा- तुम हमेशा हंसते रहते हो, प्रसन्न रहते हो। नीत्शे ने कहा- ‘‘अगर तुमने पूछ ही लिया है तो मैं असलियत भी बता दूं। मैं इसलिये हंसता रहता हूं कि कहीं रोने न लगूं। आदमी बिल्कुल वैसा नहीं है, जैसा दिखाई पड़ता है। भीतर […] Read more » Human natute soul मन के खेल निराले मेरे भैय्या !