धर्म-अध्यात्म “सद्धर्म वेद का प्रचार व आचरण सभी विद्वानों एवं सत्पुरुषों का कर्तव्य व धर्म” August 7, 2019 / August 7, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। मनुष्य का ईश्वर व जीवात्मा के सत्यस्वरूप को जानकर ईश्वर की उपासना करना तथा उपासना करते हुए अपनी आत्मा की उन्नति करना वेदाध्ययन के समान परम धर्म है। देश व समाज सहित अपनी शारीरिक, आत्मिक व सामाजिक उन्नति करना आत्मा की उन्नति में ही सम्मिलित हैं। मनुष्य को ज्ञान व मार्गदर्शन […] Read more » relegion scholar Ved
लेख “आत्मा की सत्ता पर स्वामी सत्यप्रकाश सरस्वती जी के सारगर्भित विचार” July 23, 2019 / July 23, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। स्वामी डॉ0 सत्यप्रकाश सरस्वती आर्यसमाज के शीर्ष विद्वानों में से एक थे। आर्यसमाज में वेद और विज्ञान से जुड़े उच्चकोटि के विद्वान कम ही हुए हैं। ऋषि के जीवन काल व उसके बाद पं0 गुरुदत्त विद्यार्थी ऋषि के अनुयायी बने थे। वह भौतिक विज्ञान के उच्च कोटि के विद्वान थे। स्वामी […] Read more » Aryasamaj satyaprakash saraswati Science Ved
धर्म-अध्यात्म “वेद न होते तो राम, कृष्ण, दयानन्द तथा वैदिक धर्म भी न होता” July 2, 2019 / July 2, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। वेद शब्द का अर्थ ज्ञान है। वेद नामी ज्ञान ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद नाम की चार मन्त्र संहिताओं की संज्ञा है। यह ज्ञान कब व कहा से प्राप्त हुआ? इसका स्रोत क्या है? हम जानते हैं कि ज्ञान का स्रोत विद्वान हुआ करते हैं। विद्वान गुरुओं व ग्रन्थों का अध्ययन […] Read more » god ram relegion Ved vedicc
चिंतन महाभारत के बाद वेदों के विलुप्त होने से मनुष्यमात्र की हानि हुई June 17, 2019 / June 17, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। सृष्टि के आरम्भ से महाभारत काल तक समूचे विश्व में वेद और ऋषि परम्परा अपने पूरे प्रभावशाली रूप से प्रचलित रही। महाभारत का युद्ध महाविनाशकारी सिद्ध हुआ। इसका सबसे बुरा प्रभाव यह हुआ कि इसके बाद वेदों का पठन-पाठन, वेदों का प्रचार एवं प्रशिक्षण समाप्त हो गया। ईश्वरोपासना एवं अग्निहोत्र आदि […] Read more » diappered Mahabharat Ved
कला-संस्कृति वेद प्रचार एवं उपदेशकों का सफल उपासक होना आवश्यक January 15, 2014 / January 15, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- महर्षि दयानन्द ने आर्य समाज की स्थापना वेदों के प्रचार व प्रसार के लिए की थी और यही आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य भी है। वेदों के प्रचार व प्रसार के पीछे महर्षि दयानन्द का मुख्य उद्देश्य यही था कि वेद ईशवर से उत्पन्न व प्रेरित सब सत्य विद्याओं की ज्ञान […] Read more » Ved वेद प्रचार एवं उपदेशकों का सफल उपासक होना आवश्यक
धर्म-अध्यात्म बीसवी शती में वेदों का प्रकटीकरण? December 26, 2010 / December 18, 2011 by डॉ. मधुसूदन | 8 Comments on बीसवी शती में वेदों का प्रकटीकरण? डॉ. मधुसूदन मेरा एक मित्र भारत जा रहा था। उस के द्वारा मैंने एक ”छंदो दर्शन” नामक पुस्तक, यूं सोच कर, कि कविता के छंदों की पुस्तक होगी, जो भारतीय विद्या भवन ने प्रकाशित की थी, मंगाई। पर मेरे आश्चर्य का पार न रहा, जब मैं ने उसे खोला, तो, वह आधुनिक समय में प्रकट […] Read more » Ved ऋग्वेद वेद