कविता
हम तुम
/ by बीनू भटनागर
चट्टान थे तुम हम लहर से , तुम से टकराते रहे, चोट खा खा के फिर वापिस आते रहे। तुम क्षितिज थे, हम थे राही, तुम भ्रम थे, हम पुजारी, हम चले, चलते गये तुम दूर जाते गये। तुम थे सागर, हम थे दरिया, बहते बहते, पहुँचे तुम तक, तुम जगह से हिले ही नहीं, […]
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