आर्थिकी राजनीति देश पर कम होता ऋण भार September 17, 2017 / September 17, 2017 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment डॉ. मयंक चतुर्वेदी ऋण को विकास के लिए जितना अधिक अपरिहार्य माना गया है, उतना ही लगातार इससे डूबे रहने को जनमानस में घोर विपत्तिकारक स्वीकार्य किया गया है। भारत पर आज दुनियाभर का कितना कर्ज है, यह जानकर जितनी अधिक चिंता होती है, वहीं इन दिनों इससे भी सतुष्टी का भाग जाग्रत होता है कि कम से […] Read more » Featured Narendra Modi अंतर्राष्ट्रीय ऋण सांख्यिकी 2017 ऋण भार