धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना वैदिकधर्म और संस्कृति की रक्षा, प्रचार और उन्नति के लिये की थी March 5, 2020 / March 5, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -आर्यसमाज के स्थापना दिवस 10 अप्रैल पर- -मनमोहन कुमार आर्य संसार में अनेक मत–मतान्तर एवं संस्थायें हैं जो अतीत में भिन्न–भिन्न लोगों द्वारा स्थापित की गई हैं व अब की जाती हैं। इन संस्थाओं को स्थापित करने का इसके संस्थापकों द्वारा कुछ प्रयोजन व उद्देश्य होता है। सभी लोग पूर्ण विज्ञ वा आप्त पुरुष […] Read more » Aryasamaj Aryasamaj was founded by sage Dayanand for the protection propagation and advancement of Vedic religion and culture. Rishi Dayanand ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द का जन्म होना इतिहास की सबसे महनीय घटना February 13, 2020 / February 13, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द ने अपने जीवन को सत्य को खोज में समर्पित करने सहित उन्हें स्वयं को उपलब्ध हुए सत्य ज्ञान को देश व संसार की जनता में प्रचारित व वितरित करने का सौभाग्य प्राप्त है। उनसे पूर्व सत्य का उन जैसा अन्वेषी और सत्य को ग्रहण और असत्य को छोड़ने वाला […] Read more » ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द संसार के अद्वितीय महान युगपुरुष January 8, 2020 / January 13, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य जीवात्मा एक अत्यन्त अल्प परिमाण वाली चेतन सत्ता है। यह अल्प ज्ञान एवं अल्प शक्ति से युक्त होती है। इसका स्वभाव व प्रवृत्ति जन्म व मरण को प्राप्त होना है। जीवात्मा में मनुष्य व अन्य प्राणी–योनियों में जन्म लेकर कर्म करने की सामर्थ्य होती है। मनुष्य योनि में जन्म का कारण […] Read more » ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म महान मन्त्रद्रष्टा ऋषि दयानन्द के प्रति विख्यात लोगों की सम्मतियां December 29, 2019 / December 29, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द ने वेदों का पुनरुद्धार किया और वेदों के प्रचार के लिये दिनांक 10 अप्रैल, 1875 को मुम्बई में आर्यसमाज नामक संगठन स्थापित किया। वह इतिहास में प्रमुख समाज सुधारक हुए हैं। उनके समाज सुधार का आधार वेद थे। कोई ऐसा अन्धविश्वास, पाखण्ड तथा सामाजिक कुरीति या परम्परा नहीं थी […] Read more » Rishi Dayanand ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म हमनें ऋषि दयानन्द के उपकारों को न तो जाना है और न उनसे उऋण होने का प्रयत्न किया है December 25, 2019 / December 25, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य महाभारत युद्ध के बाद देश का सर्वविध पतन व पराभव हुआ। इसका मूल कारण अविद्या था। महाभारत के बाद हमारे देश के पण्डित, ज्ञानी वा ब्राह्मण वर्ग ने वेद और विद्या के ग्रन्थों का अध्ययन–अध्यापन प्रायः छोड़ दिया था जिस कारण से देश के सभी लोग अविद्यायुक्त होकर असंगठित हो […] Read more » ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द की संसार को देन वेदों में वर्णित ईश्वर का प्रामाणिक सत्य स्वरूप December 19, 2019 / December 19, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य यह निर्विवाद है कि मूल वेद संहितायें ही संसार में सबसे पुरानी पुस्तकें हैं। वेद शब्द का अर्थ ही ज्ञान होता है। अतः चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद ज्ञान की पुस्तकें हैं। इन चारों वेदों पर ऋषि दयानन्द का आंशिक और अनेक आर्य वैदिक विद्वानों का भाष्य वा टीकायें […] Read more » ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द ने अविद्या दूर करने और समाज सुधार कार्यों से वैदिक धर्म की रक्षा की November 19, 2019 / November 19, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द (1825-1883) सन् 1863 में देश व समाज का सुधार करने तथा विलुप्त वेद और वैदिक धर्म का पुनरुद्धार करने के कार्यों में प्रवृत्त हुए थे। उनके समय में शुद्ध वैदिक धर्म विलुप्त होकर इसमें नाना प्रकार के अन्धविश्वास, मिथ्या मान्यतायें तथा अन्यान्य सामाजिक कुरीतियां प्रचलित हो गई थी जिससे […] Read more » Rishi Dayanand ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द व उनके अनुयायी अनेक विद्वानों ने वेदभाष्य का अविस्मरणीय कार्य किया February 11, 2019 / February 11, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द गृह त्याग कर देश भर के हिन्दू तीर्थ स्थानों पर गये। वहां उन्होंने विद्वानों व साधुओं से सम्पर्क कर अपनी शंकाओं का समाधान करने का प्रयास किया और उनसे ज्ञान प्राप्त करने का प्रयत्न किया। वह अनेक योगियों के भी सम्पर्क में आये और योग में कृतकार्य हुए। गुरु […] Read more » ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द की स्वदेश सहित विश्व के सभी मनुष्यों को देन December 30, 2018 / December 30, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य महाभारत काल के बाद से लेकर वर्तमान समय तक यदि हम संसार के महापुरुषों पर दृष्टि डालें तो हमें ऋषि दयानन्द सबसे महान महापुरुष दिखाई देते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण उनके द्वारा संसार के सबसे प्राचीन धर्म वेद और संस्कृति का पुनरुत्थान करना था। क्या इसकी आवश्यकता थी? इसका उत्तर है […] Read more » ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म “परमात्मा अवतार अर्थात् कभी जन्म नहीं लेताः पं. विद्यापति शास्त्री” December 4, 2018 / December 4, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आर्यसमाज धामावाला देहरादून का दिनांक 2-12-2018 का रविवारीय साप्ताहिक सत्संग सोल्लास सम्पन्न हुआ। प्रातः आर्यसमाज की यज्ञशाला में विद्वान पुरोहित पं. विद्यापति शास्त्री जी ने यज्ञ सम्पन्न कराया। यज्ञ के पश्चात का कार्यक्रम आर्यसमाज के भव्य सभागार में हुआ। सत्संग के आरम्भ में पं. विद्यापति शास्त्री जी ने पं. सत्यपाल पथिक रचित […] Read more » “परमात्मा अवतार अर्थात् कभी जन्म नहीं लेताः पं. विद्यापति शास्त्री” ऋषि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म “ब्रह्मसमाज की अवैदिक व अव्यवहारिक मान्यतायें और आर्यसमाज” December 3, 2018 / December 3, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, महर्षि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना सन् 1875 में मुम्बई में की थी। उन्होंने सन् 1863 से वेद व वैदिक मान्यताओं का प्रचार आरम्भ कर दिया था। वह वेद विरुद्ध मान्यताओं व सिद्धान्तों का खण्डन करते थे। उनका उद्देश्य असत्य को छोड़ना व छुड़ाना तथा सत्य को स्वीकार करना व कराना था। […] Read more » ‘ईसा’ ‘नानक’ और ‘चैतन्य’ ‘मुहम्मद’ ‘मूसा’ आर्यसमाज ऋषि दयानन्द प्राणीमात्र महर्षि दयानन्द राजा राममोहन राय सर्वजनहितकारी
धर्म-अध्यात्म “पं. देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय संग्रहीत बंगला सामग्री के आधार पर ऋषि जीवन का अनुवाद व सम्पादन करने वाले विद्वान पं. घासीराम” November 26, 2018 / November 26, 2018 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on “पं. देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय संग्रहीत बंगला सामग्री के आधार पर ऋषि जीवन का अनुवाद व सम्पादन करने वाले विद्वान पं. घासीराम” मनमोहन कुमार आर्य, आर्यसमाज के संस्थापक ऋषि दयानन्द के जीवन विषयक इतिहास सामग्री के संग्रह में पं. लेखराम एवं पं. देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय का स्थान सर्वोपरि है। इन दोनों ऋषि भक्तों ने ऋषि दयानन्द के जीवन विषयक सामग्री का संग्रह कर उनके जो जीवन चरित्र लिखे हैं वह आर्यसमाज साहित्य में उच्च स्थान रखते हैं। यह […] Read more » ऋग्वेदादिभाष्य ऋषि दयानन्द घासीराम जी देवेन्द्र बाबू पं. उर्दू पद्यानुवाद