Tag: एकात्म मानवदर्शन

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आज की आवश्यकता है एकात्म मानवदर्शन

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जिस समय न केवल दुनिया में बल्कि भारत में भी इन विचारधाराओं का वर्चस्व था, खासकर साम्यवादी विचारधारा का, तब संघ के द्वितीय संघचालक माधव सदाशिव राव गोलवलकर ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को यह जिम्मेदारी सौंपी थी कि वह प्रकृति के अनुकूल विचारदर्शन प्रस्तुत करें। इसके बाद ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानवदर्शन जैसा सम्पूर्ण विचारदर्शन दुनिया के समक्ष प्रस्तुत किया। एकात्म मानवदर्शन में परस्पर निर्भरता की बात कही गई। सबको एक-दूसरे के साथ एकात्म मानकर विचार किया गया।

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