कविता
प्रदूषण के डर से, ना निकला घर से
 
 /  by अशोक बजाज    
प्रदूषण के डर से , ना निकला घर से ; पटाखों की लड़ियाँ , और फुलझड़ियाँ , सुहाने गगन में , कहर बन के बरसे ; प्रदूषण के डर से , ना निकला घर से ; हर मोड़ पर है मधुशाला , हर हाथ में मस्ती का प्याला ; कैसे बचाऊँ तुम्हें , इस जहर […] 
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