“विषाक्त हवा हमें मार रही है लेकिन हम बाहर नहीं जा सकते हैं”
अनिल अनूप “मेरी आंखों को चोट लगी है और मैं अपने रिक्शा को खींचते समय
अनिल अनूप “मेरी आंखों को चोट लगी है और मैं अपने रिक्शा को खींचते समय
ललित गर्ग- ‘दुर्घटना’ एक ऐसा शब्द है जिसे पढ़ते ही कुछ दृश्य आखों के सामने
ललित गर्ग- हम हर वर्ष दीपावली मनाते हैं। यह त्यौहार भारतीय संस्कृति का गौरव है,
डॉ कविता कपूर गणेश उत्सव आयोजन के इतिहास पर यदि नजर डालें तो हम पाते
प्रदूषण कम करने में सबकी सहभागिता जरूरी हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया
संदर्भः लैंसेट मेडिकल जर्नल की रिपोर्ट प्रमोद भार्गव लैंसेट मेडिकल जर्नल की रिपोर्ट को
कुंठित लोग विपरीत वेधन से आने वाली पीढ़ियों के लिए गहरी-कब्रें खोदने में व्यस्त हैं
ललित गर्ग पिछले कुछ सालों के दौरान दिवाली में पटाखों की वजह से होने वाले
-बी.आर.कौंडल- प्रकृति ने हमें स्वच्छ वायु, धरा व स्वच्छ आकाश से नवाजा है | अत:
लालकृष्ण आडवाणी परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के स्वामी चिदानंद सरस्वती उन आध्यात्मिक विभूतियों में से एक
प्रदूषण के डर से , ना निकला घर से ; पटाखों की लड़ियाँ , और