लेख विविधा धारा में April 9, 2015 / April 11, 2015 by गंगानन्द झा | Leave a Comment पण्डित अनन्तलाल ठाकुर का सत्संग मुझे कुछ ही दिनों के लिए मिला था । वे दरभंगा के संस्कृत शोध संस्थान के निर्देशक के पद से सेवानिवृत्त होकर अपने एक आत्मीय के साथ रह रहे थे। मैं वहाँ दो तीन दिनो के लिए ठहरा था । अति सामान्य दिखनेवाले इस व्यक्ति की बातें सुनते रहना एक अद्भुत […] Read more » Featured गंगानाथ झा धारा में संस्मरण
कहानी संस्मरणात्मक कहानी : वे दिन April 26, 2011 / December 13, 2011 by आर. सिंह | 3 Comments on संस्मरणात्मक कहानी : वे दिन जिन्दगी के पथ पर चलते हुए बहुत सी एैसी घटनाएं घटित हो जाती हैं जो यादगार ही बनकर नहीं रह जाती,वल्कि हमेशा कुरेदती भी रहती है दिलों दिमाग को.क्या उम्र रही होगी मेरी उस समय?यही तेरह या चौदह वर्ष की.वयःसन्धि के उस मोड पर मन की उमंगें आसमान छूने की तम्मना रखती हैं.आज फिर जब […] Read more » कहानी संस्मरण