अब बुद्धू बक्सा नहीं रहा टेलीविजन

टेलीविजन दिवस पर विशेष – 21 november

डॉ घनश्याम बादल

आज के समय में देश और दुनिया का शायद ही कोई ऐसा शहर, गांव या घर होगा जहां पर टेलीविजन की उपस्थिति न हो । आज हमारी  दिनचर्या में टेलीविजन देखना एक अपरिहार्य हिस्सा बन चुका है ।  कह सकते हैं कि जो टेलीविजन के संपर्क में नहीं है वह आज की दुनिया के भी संपर्क में भी नहीं है और ऐसे लोगों को पिछड़ा माना जाता है । आज बड़ों से लेकर बच्चों तक जब आपस में मिलते हैं तो  टेलीविजन का जिक्र किसी न किसी संदर्भ में ज़रूर आता है ।

    अब टेलीविजन के बारे में तो सब जानते हैं पर शायद यह बहुत कम लोग जानते होंगे कि 21 नवंबर को पूरी दुनियाभर में टेलीविजन दिवस मनाया जाता है। आज टेलीविजन संचार और वैश्वीकरण का प्रतीक है जो हमें शिक्षित करता है, सूचित करता है, मनोरंजन करता है और हमारे निर्णयों और विचारों को प्रभावित करता है।

मजे की बात यह है कि आज के इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन का आविष्कार किसी जाने-माने वैज्ञानिक ने नहीं किया अपितु  1927 में, फिलो टेलर फ़ार्नस्वर्थ नामक 21 वर्षीय जर्मन आविष्कारक ने दुनिया का पहला इलेक्ट्रॉनिक टेलीविज़न बनाया जो 14 साल की उम्र तक बिना बिजली के घर में रहा था । अपनी पढ़ाई के दौरान हाई स्कूल में ही, उसने एक ऐसी प्रणाली के बारे में सोचना शुरू किया जो चलती हुई तस्वीरों को कैप्चर कर सके, उन्हें एक कोड में बदल सके और फिर उन छवियों को रेडियो तरंगों के साथ अलग-अलग डिवाइस पर भेज सके। वह पारंपरिक टेलीविज़न सिस्टम से कई साल आगे था क्योंकि उसकी संरचना इलेक्ट्रॉनों की एक किरण का उपयोग करके चलती हुई छवियों को कैप्चर करती थी। फ़ार्नस्वर्थ ने बाद में अपने टेलीविज़न का उपयोग करके एक डॉलर के चिह्न की छवि को प्रसारित किया, जब एक साथी आविष्कारक ने पूछा “हम इस चीज़ से कुछ डॉलर कब देखेंगे?” तब  उनमें से किसी को भी नहीं पता था कि टेलीविज़न वैश्विक सूचना के प्रसार को बढ़ावा देने वाले अंतर्राष्ट्रीय दिवस का प्रतीक बन जाएगा। इलेक्ट्रॉनिक टेलीविज़न से पहला प्रसारण चार्ल्स फ्रांसिस जेनकिंस द्वारा निर्मित W3XK नामक प्रथम यांत्रिक टीवी स्टेशन ने किया।

    1996 में 21 और 22 नवंबर को, संयुक्त राष्ट्र ने पहला विश्व टेलीविजन फोरम आयोजित किया। यहाँ, प्रमुख मीडिया हस्तियाँ तेज़ी से बदलती दुनिया में टेलीविज़न के बढ़ते महत्व पर चर्चा और इस बात पर विचार करने के लिए मिलीं कि वे अपने आपसी सहयोग को कैसे बढ़ा सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र के नेताओं ने माना कि टेलीविज़न संघर्षों की ओर ध्यान आकर्षित कर सकता है, शांति और सुरक्षा के लिए खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ा सकता है और सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।

    संयुक्त राष्ट्र संघ ने तब टेलीविज़न को सूचना देने, चैनल बनाने और जनमत को प्रभावित करने के एक प्रमुख उपकरण के रूप में स्वीकार किया और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 नवंबर को विश्व टेलीविज़न दिवस का नाम दिया ।  

अब तो आपको पता है कि 21 नवंबर को टेलीविजन दिवस है तो फिर इस दिवस को कैसे मनाया जाए इसके लिए लिए सोचते हैं कुछ नया।

शेयर करें पसंदीदा टीवी पल
टेलीविज़न पर बहुत कुछ ऐसा है जिसे देखकर आप खुश हो सकते हैं। सोशल मीडिया पर जाएं और अपने पसंदीदा टेलीविज़न पल के बारे में लिखें, चाहे वह पिछले हफ़्ते हुआ हो या 20 साल पहले।अपने पसंदीदा लोगों को टीवी डिनर के लिए आमंत्रित करें और साथ ही अपना पसंदीदा कार्यक्रम देखें।

 खूब मज़े करो
हो सकता है कि आप टीवी देखने से इसलिए परहेज करते हों क्योंकि आपको लगता है कि आपको कुछ काम करने चाहिए? यह दिन आपके लिए ही बना है! कुछ आरामदायक स्वेट पहनें, अपने लिए पॉपकॉर्न बनाएं और अपने पसंदीदा शो के एक के बाद एक एपिसोड देखें। अगर आपको इस तरह की आरामदेह गतिविधि पर कोई अपराधबोध महसूस होता है, तो खुद को याद दिलाएँ कि आप अपने कार्यों से संयुक्त राष्ट्र के आदर्शों का समर्थन कर रहे हैं – या इस मामले में निष्क्रियता डेविड एटनब्रो की 2016 की डॉक्यूमेंट्री श्रृंखला दुनिया भर में प्रकृति की खोज करती है और यह नाजुक वर्णन और आश्चर्यजनक दृश्यों से भरपूर है। और भी ऐसे अनेक कार्यक्रम हो सकते हैं जिन्हें आप अपनी पसंद के अनुसार देख सकते हैं पर बेहतर हो कुछ सार्थक देखें। ऐसे ही कुछ सार्थक सीरियल्स  हैं

प्लैनेट अर्थ
मूल प्लैनेट अर्थ का फिल्मांकन 2006 में किया गया था और यह मूलतः प्लैनेट अर्थ 2 जैसा ही था, लेकिन फुटेज को कैप्चर करने वाली तकनीक थोड़ी पुरानी थी। भाइयों का बैंड
युद्ध ड्रामा लघु श्रृंखला 1942 से द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक 101वीं एयरबोर्न डिवीजन की 506वीं रेजिमेंट, ईज़ी कंपनी की कहानी पर केंद्रित है। ब्रेकिंग बैड यह नाटक एक रसायन विज्ञान शिक्षक की कहानी है, जिसे पता चलता है कि उसे कैंसर है और वह मेथ-निर्माण व्यवसाय में जाने का निर्णय लेता है। चेरनोबिल यह लघु श्रृंखला 1986 में चेरनोबिल में हुई परमाणु आपदा और उसके बाद किए गए सफाई प्रयासों को कवर करती है। यह कार्यक्रम तो महा जे महज सुझाव के लिए हैं दुनिया भर के टेलीविजन कार्यक्रमों की सूची उठाकर देखेंगे तो आपको अपनी पसंद के एवं सार्थक कार्यक्रमों की एक लंबी श्रृंखला मिल जाएगी तो अगर समय है और मन भी है तो टेलीविजन दिवस पर यह कार्यक्रम देख सकते हैं। ज्यादा टेलीविजन देखने के अपराध बहुत से ग्रस्त होने की आपका आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका में, औसतन लोग प्रतिदिन 3.5 घंटे टेलीविजन देखते हैं। चाहे वह समाचार हो, खेल हो, संगीत कार्यक्रम हो, शो हो या फ़िल्में हों, हम मनोरंजन और जानकारी के लिए टेलीविजन का सहारा लेते हैं। मनोरंजन के रूप में टेलीविजन केवल संयुक्त राज्य अमेरिका तक ही सीमित नहीं है। दुनिया भर में लगभग 610 मिलियन दर्शक हैं। यह जानना कि इसके उच्च उद्देश्यों के लिए एक दिन समर्पित है, हमें दिन के अंत में थोड़ा टीवी देखने के अपने निर्णय के बारे में बेहतर महसूस कराता है।
एक समय टेलीविजन का मतलब लिविंग रूम में रखा हुआ वह बॉक्स होता था जो रेडियो तरंगें प्राप्त करता था और छवियों को प्रसारित करता था। वे दिन चले गए हैं। टेलीविजन अब कोई भी सिस्टम है जो ध्वनि और छवियों को प्रसारित करता है और स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है। यह अभी भी डेन में बड़ी स्क्रीन हो सकती है, लेकिन यह आपके डेस्कटॉप, लैपटॉप या फोन को भी संदर्भित करती है। जब तक वे कार्यक्रमों तक पहुँच रहे हैं, वे निष्पक्ष खेल हैं! अपने कई नवाचारों के साथ, टीवी मनोरंजन और सूचना का एक स्रोत है जिसे हम प्रतिदिन एक्सेस करते हैं। यदि चाहें तो आप सोशल मीडिया पर जाएं और अपना पसंदीदा टेलीविज़न शो, न्यूज़ प्रोग्राम या नेटवर्क टाइप करें और आपको ढेरों कमेंट, लाइक और शेयर मिलेंगी।  इसलिए चाहे आपकी रुचि वॉकिंग डेड में किसकी मृत्यु हुई या फेस द नेशन में राष्ट्रपति के साथ साक्षात्कार में हो, वर्चुअल दुनिया में एक पूरा समुदाय है जिसके साथ आप गपशप कर सकते हैं। वैसे भारत में पुरानी पीढ़ी के लोग अधिक टेलीविजन देखना पसंद नहीं करते पर नई पीढ़ी किसी भी माध्यम से टेलीविजन देखने से छुट्टी भी नहीं है शायद दोनों के अपने-अपने आदर्श एवं जीवन शैलियों हैं। पर ,यह तो सच है कि न तो आज के युग में टेलीविजन से कट कर चला जा सकता है और साथ ही साथ यदि हम अपना सारा समय टेलीविजन को ही दे देंगे तो यह भी घातक हो सकता है।

डॉ घनश्याम बादल

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