ब्रह्मा से कह दो आदमी की सृष्टि शर्तों के हिसाब से करे

—विनय कुमार विनायक
आज आदमी को आदमी से तीव्र असहमति है,
ब्रह्मा से कह दो आदमी की सृष्टि आदमी की
सहमति असहमति की शर्तों के हिसाब से करे!

आज किसी को किसी की मूंछ से आपत्ति है,
किसी को किसी की दाढ़ी से घृणा विरक्ति है,
किसी को किसी के केश बढ़ाने से विपत्ति है!

ब्रह्मा से कह दो बच्चों को मूंछ नहीं उगने दे,
दाढ़ी नहीं लहलहाके बढ़ने दे बाल नहीं होने दे,
बच्चे मासूम हो भोले हो खिलखिलाके हंसते हो!

बच्चे बच्चियों में कुछ नहीं भेदभाव अंतर हो,
बच्चों के युवा होने पर हाथ में नहीं कटार हो,
ध्यान रहे उन्हें जनेऊ उपनयन नहीं पहनाना,
राम कृष्ण की तरह गुरुकुल आश्रम ना भेजना!

क्योंकि बहुत जन को तिलक उपनयन से एतराज है,
हो सके तो रैदास की तरह गर्भ में जनेऊ पहनने दो,
संत फकीर कवि कबीर भी प्रासंगिक नहीं है,अब तो
ब्रह्मा से कह दो भविष्य के बच्चे घटोत्कच जैसे हो!

ना मूंछ ना दाढ़ी ना बाल ना उपनयन ना कटार हो,
फिर भी बल बुद्धि विद्या मातृ पितृ भक्ति अपार हो,
हाथ में अस्त्र नहीं,देह में वस्त्र नहीं,टोपीरहित सर हो,
घटोत्कच ताउम्र जिंदा रहे इंद्र का अमोघ बेअसर हो!

घटोत्कच के बच्चे घटोत्कच हो कोई बर्बरीक ना बने,
तीन तीर से तीन लोक संहार के लिए कभी नहीं तने,
हर हाल में सत्यमेव जयते कहे पक्ष कभी नहीं बदले,
घटोत्कच सभी धर्म मत पंथ मजहब के लिए हो भले!

ब्रह्मा से कह दो भगवा और भगवान बनाना छोड़ दे,
वाणी हर ले संस्कृत संस्कृति सरस्वती को विश्राम दे,
किसी को धर्म भाषा मजहब विशेष का नहीं ज्ञान दे,
आदमी पशु सा बेजुबान हो ईश्वर रब का ना नाम ले!

ब्रह्मा से कह दो वेद को फिर से पाताल में छुपा ले,
आगम निगम अवेस्ता बाइबल कोरान को आराम दे,
हिन्दू मुस्लिम यहूदी ईसाई को शब्दकोश से मिटा दे,
आदमी को आदम हौआ मनु श्रद्धा सा पुनः बना दे!
—विनय कुमार विनायक

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

15,457 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress