उसी उदार की सदा सजीव कीर्ति कूजती;तथा उसी उदार को समस्त सृष्टि पूजती।

हाल ही में ओडिशा के ट्रिपल ट्रेन एक्सीडेंट ने पूरी देश-दुनिया को झकझोर और विचलित करके रख दिया है। इस भयानक हादसे में 275 लोगों की मौत हो गई है और 1100 के आसपास लोग घायल हुए बताए जा रहे हैं। हालांकि, हाल फिलहाल,बालेश्वर में हुए भीषण ट्रेन हादसे में 275 लोगों की मौत मामले में इंटरलाकिंग सिस्टम में छेड़छाड़ के संदेह के बाद ही सीबीआई को जांच सौंपी गई है। रेलमंत्री के निर्देश के बाद रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक (सुरक्षा) ने सभी रेलवे जोनों को यह निर्देश दिया है कि वह अपने स्टेशन की सीमा के भीतर गुमटियों पर हाउसिंग सिग्नल प्रणाली की जांच करें, यह एक अच्छी पहल है लेकिन इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि लापरवाही(सिग्नल में गड़बड़ी) कहां,किस कदर और क्यों हुई और इसके जिम्मेदार लोग कौन हैं ? वास्तव में, ओडिशा के बालासोर जिले में हुआ यह ट्रेन हादसा अत्यंत ही दुःखद घटना है, और संपूर्ण देश को इससे भारी शोक हुआ है। यह सदी की बड़ी ट्रेन दुर्घटनाओं में से एक है। हादसे की वजह सिग्नल में गड़बड़ी को माना जा रहा है। हालांकि, रेलवे की जांच जारी है। जांच सीबीआई को भी सौंप दी गई है, हादसे के कारण क्या रहे, यह तो जांच की रिपोर्ट आने के बाद ही साफ हो पाएगा, लेकिन निश्चित ही इस हादसे ने संपूर्ण देश दुनिया को एक पीड़ा दी है। हालांकि आज ट्रेनों में उच्च तकनीकी को काम में लिया जाने लगा है, तकनीक के कारण हादसों में पहले की तुलना में बहुत कमी आई है लेकिन उच्च तकनीकी के इस्तेमाल के बावजूद ऐसी भयानक दुर्घटना घटित होती है तो यह सिस्टम को कहीं न कहीं सोचने पर जरूर मजबूर करती है। जानकारी देना चाहूंगा कि भारतीय रेलवे, देश का प्रमुख यातायात संगठन है जो कि एशिया का सबसे बड़ा और एक प्रणाली प्रबंधन के अधीन विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है। संपूर्ण विश्व में भारतीय रेलवे की एक अलग ही पहचान है और यहां यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में दुनिया का सबसे लंबा रेलवे नेटवर्क है, इसके बाद चीन, रूस और भारत का स्थान है।दुनिया में रेल नेटवर्क के मामले में भारत चौथे नंबर पर है, जबकि साइज़ के मामले में भारत सातवें नंबर पर है। भारत का रेल नेटवर्क 70,225 किलोमीटर का है और ट्रैक की लम्बाई 1,26,366 किलोमीटर है साथ ही लगभग 71% रूट्स इलेक्ट्रिफाइड हैं।आंकड़ों के मुताबिक साल भर में सफर करने वाले रेल यात्रियों की संख्या के मामले में भारत पूरी दुनिया में पहले नंबर पर है।भारत में रेलवे सिर्फ एक सेवा नहीं, बल्कि एक बहुत ही बड़ी व्यवस्था है, जिसके लिए अलग से मंत्रालय भी है। इतनी बड़ी व शानदार व्यवस्था होने के बावजूद तथा टिकट बुकिंग से लेकर पटरियों, विद्युत लाइनों, इंजन, डिब्बों और विभिन्न सुविधाओं में बड़े सुधारों के बावजूद दुर्घटना पर सवाल उठना भी लाजमी ही है क्योंकि ट्रेन यात्रा को सबसे सुरक्षित यात्राओं में से एक माना जाता है। हाल ही की इस ट्रेन दुर्घटना पर अवश्य ही विचार होना चाहिए, क्यों कि इसमें बहुत से लोग मारे गए हैं। हाल ही में हुई इस घटना से सबक लिया जाना चाहिए और भविष्य में ट्रेन यात्राओं को अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। उम्मीद की जा सकती है कि मामले की तह तक सख्त जांच होगी,  और जो भी इसमें दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी और भविष्य में हादसों को टालने पर काम होगा। मीडिया के हवाले से खबरें आईं हैं कि ‌ इस ट्रेन हादसे की वजह रेलवे सिग्नल के लिए अहम ‘प्वाइंट मशीन’ और ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग’ प्रणाली से संबंधित है। जानकारी देना चाहूंगा कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कवच प्रणाली का इस दुर्घटना से कोई संबंध नहीं है। यह इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली में बदलाव की वजह से हुआ था। प्वाइंट मशीन की सेटिंग में बदलाव किया गया था। यह कैसे और क्यों किया गया, वास्तव में इसका खुलासा जांच रिपोर्ट में ही हो पाएगा।इस हादसे के बाद केंद्र और राज्य सरकार ने जिस तरह घायलों की मदद में तेजी दिखाई, वह उल्लेखनीय है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रेल मंत्री ने घटनास्थल का दौरा किया और हादसे में मारे गए लोगों के लिए अपनी संवेदना व दुख प्रकट किया है। घटना के बाद राहत और बचाव कार्यों में स्थानीय लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया, यह दिखाता है कि जब जब भी मानवता पर कोई कष्ट, परेशानी या दिक्कतें आतीं हैं तो हम एक होकर पूरी तन्मयता से मानवजाति के कल्याण, सेवाभाव में जुट जाते हैं। सच्ची मानवता देखने को मिली, बहुत से लोग तो स्वेच्छा से रक्तदान तक के लिए आगे आए। इस दौरान विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोग, संस्थाएं भी मदद कर रहे थे। यह सेवाभाव बहुत ही प्रशंसनीय है। वास्तव में ऐसी मुश्किल घड़ियों में ही मानवता की असली परख होती है। हमारी संस्कृति भी वास्तव में यही है कि हम पीड़ित मानवता के दुखों की भरपाई के लिए कंधे से कंधा मिलाकर पूर्ण ईमानदारी,निष्ठा व लगन से काम करें। हालांकि, हादसे में जिन लोगों ने जान गंवाई है, उनकी भरपाई कभी भी संभव नहीं हो सकती है। सरकार ने प्रभावित परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा कर उनके परिवारों को राहत देने की कोशिश जरूर की है। इसी तरह, घायलों को भी अच्छी चिकित्सा सहायता दी जा रही है, उन्हें भी सहायता राशि उपलब्ध करवाई जाएगी। वास्तव में, इस समय जरूरत इस बात की है कि पूरा देश उन पीडितों के साथ खड़ा हो, जिन्हें यह हादसा गहरे घाव देकर चला गया। राजनेताओं को भी चाहिए कि वे अभी आरोप-प्रत्यारोप से परहेज करें। ऐसे हादसों पर कभी भी तुच्छ राजनीति नहीं की जा चाहिए। यह दुख का समय है, इसलिए दुख के इस समय में हमें मानवता के लिए काम करते हुए आगे आना चाहिए। अपने तुच्छ स्वार्थ,लालच के लिए जो काम करते हैं,वह मानव नहीं कहला सकते हैं। हिंदी के महान कवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने इस पर कहा है-‘…यही पशु–प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे¸वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।उसी उदार की कथा सरस्वती बखानती¸ उसी उदार से धरा कृतार्थ भाव मानती।उसी उदार की सदा सजीव कीर्ति कूजती;तथा उसी उदार को समस्त सृष्टि पूजती।अखण्ड आत्मभाव जो असीम विश्व में भरे¸वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिये मरे।।’ वास्तव में मैथिलीशरण गुप्त जी ने उक्त पंक्तियों के माध्यम से यही बताने का प्रयास किया है कि मनुष्य में हमेशा परोपकार की भावना होनी चाहिए। बहरहाल, जानकारी देना चाहूंगा कि ओडिशा के बालेश्वर में ट्रेन हादसे की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के कुछ घंटे के भीतर ही रेलवे ने अपने तंत्र को सुरक्षित करने की दिशा में पहल कर दी है। बताया जा रहा है और इसके तहत रेलवे के सभी 19 जोनों में एक सप्ताह तक सघन सुरक्षा अभियान चलाया जाएगा। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस अभियान को तत्काल प्रभाव से चलाने का निर्देश दिया है, यह इस संबंध में एक अच्छी और काबिलेतारिफ कदम कहा जा सकता है। इस सीन सुरक्षा अभियान के तहत यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि इस बात की जांच की जाए कि डबल लाकिंग व्यवस्था अच्छी तरह से काम कर रही है या नहीं। साथ ही, स्टेशनों के सभी संचारित कमरों (रिले रूम) का भी समुचित तरीके से परीक्षण करने को कहा गया है कि सिग्नल सिस्टम की डबल लाकिंग व्यवस्था में कोई खामी या कोई कमी तो नहीं है। रिले रूम में प्रवेश को लेकर खासी सख्ती और सावधानी बरतने के लिए कहा गया है। बहरहाल, बालेश्वर हादसा बहुत ही भीषण हादसा है, इसमें अनेक लोग मारे गए हैं और बहुत से घायल हुए हैं। इस हादसे की सख्त जांच तो होनी ही चाहिए और यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भविष्य में इस प्रकार के हादसों की पुनरावृत्ति न होने पाएं। जांच के बाद हादसे में दोषी पाए जाने वालों को बख्शा करई नहीं जाना चाहिए और उन्हें सख्त से सख्त सजा दी जानी चाहिए। यह संकट की , परेशानी की,दुख की घड़ी है और जब भी घर में कोई संकट, परेशानी आती है तो परिवार के सदस्यों का यह कर्तव्य होता है कि वे एक-दूसरे को हिम्मत दें, एकजुट और साहसी होकर काम करें। एक दूसरे पर दोषारोपण, आरोप प्रत्यारोप का यह समय नहीं है। हमें चाहिए कि हम सिस्टम की खामियों को दूर करने की दिशा में काम करें,इस हादसे से भविष्य के लिए सबक लें।

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