मुख्य अतिथि बनने का सुख

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मेहता जी एक सम्मानित व्यक्तित्व है जिसका एक मात्र उपयोग वे मुख्य अतिथि बनने में करते है। यह अनुमान लगाना कठिन है कि वे पहले से सम्मानित थे या फिर विभिन्न समारोह में मुख्य अतिथि बनने के बाद वे सम्मान-गति को प्राप्त हुए है।

 

मेहता जी तन मन और आदतन मुख्य अतिथि है। मुख्य अतिथि बनना उनके नित्यकर्म में घुसपैठ कर अपना आधार और आधार कार्ड दोनों बना चुका है। बिना दृष्टिदोष के पता लगाना मुश्किल है कि मुख्य अतिथि बनना मेहता जी का पेशा है या फिर पैशन। अपारिवारिक सूत्र बताते है कि वे बचपन से मुख्य अतिथि बनना चाहते थे और पचपन तक पहुँचने पर भी इस स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है। उन्होंने अपनी डायरी के हर पेज पर हैडर और फुटर में लिख भी रखा है, “मुख्य अतिथि बनना मेरा “वहमसिद्ध” अधिकार है और मैं इसे हड़प कर रहूँगा।” ज़बान देने के बाद मेहता साहब कभी मेज़बान से दगा नहीं करते है और नियत समय और स्थान पर वे आयोजको से पहले ही पहुँचकर आयोजको का हौंसला और BP दोनों बढ़ाते है।

 

इतने कार्यक्रमो में मुख्य अतिथि बनने के बाद भी बड़प्पन मेहता जी का स्पर्श सुख नहीं ले पाया है। मुख्य अतिथि बनने के लिए वो किसी पेशकश या आमंत्रण का इंतज़ार नहीं करते है और ना ही तारीख पर तारीख देते है बल्कि खुद क्रीज़ से बाहर आकर आयोजको को मुख्य अतिथि बनाने के लिए ललकारते है।

 

मुख्य अतिथि बनकर  अपने माल्यार्पण के लिए मेहता जी हमेशा HD क्वालिटी में तत्पर दिखाई देते है। माल्यार्पण के प्रति उनका यह समर्पण आयोजको को भी मुख्य अतिथि का पद हमेशा उनको अर्पण करने हेतु उकसाता रहता है। मेहता जी शुरू से अपने स्पोंसरो को बरगलाने में सफल रहे है कि कोई भी आयोजन,जन (जनता) के बिना सफल हो सकता है लेकिन मुख्य अतिथि के बिना नहीं , आयोजको भले ही कार्यक्रम में पैसा फूंकते हो लेकिन जान तो मुख्य अतिथि ही फूंकता है। मुख्य अतिथि बनने की राह में कभी भी ज्ञान और योग्यता मेहता जी के आड़े नहीं आई क्योंकि मेहता जी साइड से निकल लेने में सिद्धहस्त है। मेहता जी हमेशा ज्ञान और योग्यता का सम्मान करते आए है इसलिए कभी भी उन्होंने अपने आपको इनकी कसौटी पर कसकर इनका अपमान नहीं किया।

 

मेहता जी का मानना है कि उनके मुख्य आतिथ्य से हर कार्यक्रम में बिना दाग वाले चार चाँद लग जाते है। मेहता जी, हर कार्यक्रम में चीता बनकर फीता काटते है और मंच पर चढ़ने के बाद बिना लंच किए  “चीफ गेस्ट” का चौला कभी नहीं उतारते है। हालाँकि उनके करीबी लोग उनसे दूर होने पर बताते है कि वो केवल सम्मान के भूखे है लेकिन बुफे में उनकी चपेट में आई प्लेट इस बात की गवाही देने से कतई इंकार कर देती है।

 

बार-बार मुख्य अतिथि बनने को मेहता जी कोई बड़ी उपलब्धि नहीं मानते है उनके अनुसार बतौर मुख्य अतिथि के उनका संबोधन सुनकर भी आयोजक उन्हें बार-बार मुख्य अतिथि बनाने के लिए बुलाते है, यही उनके जीवन की सबसे बड़ी कमाई है। मुख्य अतिथि बनने के धंधे में मेहता जी मोनोपोली एन्जॉय करते है, अभी कोई भी प्रतिस्पर्धी उनके स्तर का मुख्य आतिथ्य नहीं टिका पा रहा है,  जो सस्ता भी हो और टिकाऊ भी हो और समय पड़ने पर बिकाऊ भी। एक सफ़ल मुख्य अतिथि कैसे बने इसके गुर मेहता जी को गुरु बनाकर इस क्षेत्र में “स्टार्ट अप्स” करने वाले लोगो को रामबाण समझकर राममंदिर मुद्दे की तरह हथिया लेने चाहिए ताकि ज़ब मेहता जी अपना मुख्य आतिथ्य खूंटी पर टाँगेंगे तो उनकी इस महान विरासत को आगे धर्मनिरपेक्षता की तरह ज़िंदा रखा जा सके।

 

मेहता जी की मुख्य अतिथि पद के प्रति “प्रेम-अगन” देखकर वह दिन दूर नहीं लगता ज़ब मेहता जी को यूनेस्को और आईएसओ प्रमाणित मुख्य अतिथि घोषित कर दिया जाएगा जिसके बाद  देश की चारदीवारी के बाहर विदेशो में भी उनके मुख्य अतिथि बनने का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।  इसके फलस्वरूप मेहता जी के हर चाहने वाले के दिल और रोयें रोयें से यही निकलेगा, ” पंछी, नदिया, गगन के झोंके और मेहता जी, कोई सरहद ना इन्हें रोके जी।”

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